विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में जाने से क्या बृजभूषण सिंह को मिल पाएगी सियासी संजीवनी?
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह जिस तरह से एक्टिव हुए हैं, उससे सियासी गलियारों में सवाल उठने शुरू हो गए हैं. सवाल इसलिए क्योंकि फोगाट और पूनिया के आंदोलन की वजह से ही बृजभूषण के राजनीतिक करियर पर ब्रेक लग गया था. पहलवानों के आंदोलन की वजह से ही बृजभूषण के पास सांसदी से लेकर कुश्ती फेडरेशन की कुर्सी तक चली गई.
ऐसे में अब दोनों के कांग्रेस में जाने के बाद कयास लग रहा है कि क्या बृजभूषण शरण सिंह को राजनीतिक संजीवनी मिल पाएगी?
विनेश-बजरंग के कांग्रेस में जाने पर सिंह ने क्या कहा?
पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने पर बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सिंह का कहना है कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का सच लोगों के सामने आ गया है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हुड्डा परिवार के जरिए मेरे और पार्टी के खिलाफ साजिश रची. मुख्य किरदार दीपेंद्र हुड्डा थे.
बृजभूषण ने कहा- मैं शुरू से ही इस बात को कह रहा हूं. अगर पार्टी पूरी तरह मेरे साथ होती तो मैं इस केस में भी नहीं फंसता. मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया गया था, लेकिन अब सच्चाई बाहर आ गई है.
सिंह ने आगे कहा कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए कांग्रेस के लोगों ने बेटियों तक को नहीं छोड़ा है, उनका भी इस्तेमाल किया है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी अगर कहेगी तो मैं इनके खिलाफ चुनाव प्रचार भी कर सकता हूं.
हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री और अंबाला से पार्टी उम्मीदवार अनिल विज ने भी बजरंग और विनेश के कांग्रेस में शामिल होने पर टिप्पणी की है. विज के मुताबिक कांग्रेस पहले दिन से ही इनके पीछे थी और इनके उकसाने से वो आंदोलन चल रहा था.
विज ने कहा- अगर विनेश देश के बदले कांग्रेस की बेटी बनना चाहती है तो मैं इस पर क्या ही बोल सकता हूं?
बृजभूषण को सियासी संजीवनी मिल सकती है?
महिला पहलवानों के आंदोलन से पहले तक बृजभूषण लोकसभा के सांसद और कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष थे, लेकिन आंदोलन के बाद सबकुछ बदल गया. सिंह न तो अब कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष हैं और न ही लोकसभा के सांसद. उनकी कुर्सी जाने के पीछे की वजह से पहलवानों का आंदोलन था.
अब आंदोलन के 2 मुख्य चेहरे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं तो सवाल उठ रहा है कि क्या बृजभूषण शरण सिंह को सियासी संजीवनी मिल सकती है? आइए इस सवाल को 3 पॉइंट्स में समझते हैं…
बृजभूषण के खिलाफ ट्रायल चल रहा– 2023 के यौन शोषण के मामले में बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में ट्रायल जारी है. इस मामले में हाल ही में गवाही होनी थी. दिल्ली की अदालत ने मई 2024 में उन पर आरोप तय किया था. कोर्ट ने उस वक्त चार्जशीट के आधार पर कहा था कि उनके खिलाफ कई सबूत हैं. सिंह के खिलाफ केस में ट्रायल चल रहा है और इसे खत्म होने में अभी समय लग सकता है.
कांग्रेस में शामिल होने वक्त एक सवाल के जवाब में विनेश फोगाट ने कहा कि उसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी और कोर्ट में हम यह मुकदमा लड़ रहे हैं और उसे सजा दिलाकर छोड़ेंगे.
कहा जा रहा है कि कोर्ट के फैसले से पहले शायद ही उनकी राजनीति में बड़े पदों पर वापसी हो सके.
साक्षी समेत कई लोग अब भी मैदान में- बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जब आंदोलन हुआ था, तो उस वक्त बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक मुख्य रूप से मोर्चा संभाले हुए थे. इसके अलावा कई और लोग पर्दे के पीछे से आंदोलन कर रहे थे. विरोध के दबाव में जब बृजभूषण के खिलाफ शिकायत लिखी गई तो 15 महिला पहलवानों ने एफआईआर लिखवाई.
विनेश और बजरंग के कांग्रेस में शामिल होने पर साक्षी मलिक ने प्रतिक्रिया दी है. मलिक ने कहा कि जिसे जाना है, जाएं. हम यहां पर महिलाओं के लिए लड़ते रहेंगे. मलिक और अन्य लोगों के मैदान में होने से बीजेपी इस मामले में शायद ही फ्रंटफुट पर मोर्चा ले पाए.
बृजभूषण के लिए अभी सियासी स्पेस भी नहीं- बृजभूषण शरण सिंह सांसदी का चुनाव ही लड़ते रहे हैं. 2009 से वे कैसरगंज सीट से सांसद रहे हैं. 2024 में आंदोलन की वजह से बीजेपी ने उनकी जगह उनके बेटे को उम्मीदवार बना दिया.
वर्तमान में कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह के बेटे सांसद हैं. यूपी से बाहर सिंह का कोई ज्यादा सियासी दबदबा भी नहीं है. इस सबके बीच सिंह ने हरियाणा में कैंपेन करने की इच्छा जरूर जाहिर की है, लेकिन कहा जा रहा है कि जाटलैंड में बृजभूषण का जाना बीजेपी के लिए बैकफायर ही कर सकता है.