इन चार चीजों को लेकर बच्चे को दें पूरी आजादी, तभी बनेगा कॉन्फिडेंट
सेल्फ कॉन्फिडेंस यानी खुद पर भरोसा करना…जिस इंसान के अंदर ये चीज होती है वह पर्सनल लाइफ की प्रॉब्लम को सुलझाने से लेकर प्रोफेशनल लाइफ की कठिनाइयों से जूझने में भी पीछे नहीं रहता है और हर मुश्किल का डटकर सामना करने की हिम्मत रखता है, लेकिन ये कॉन्फिडेंस सिर्फ एक दिन में नहीं आता है, बल्कि माता-पिता को अपने बच्चे में कॉन्फिडेंस बूस्ट करना पड़ता है जो उसकी पूरी लाइफ में काम आता है. कॉन्फिडेंट होने से बच्चा बचपन में तो स्कूल एक्टिविटी में आगे रहता ही है साथ ही बड़े होने पर वह अपने कार्यक्षेत्र में भी बेहतर कर पाता है.
अक्सर देखने में आता है कि कुछ बच्चे किसी के सामने बोलने तक से डरते हैं तो वहीं कुछ स्टेज पर भी जबरदस्त तरीके से परफॉर्म कर लेते हैं. दरअसल पेरेंटिंग की कुछ मिस्टेक जहां बच्चे का कॉन्फिडेंस लो कर सकती हैं तो वहीं कुछ छोटी बातों का ध्यान रखकर माता-पिता अपने बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ा सकते हैं. कुछ ऐसी चीजें हैं जिनमें बच्चे को आजादी देना बहुत जरूरी होता है और तभी वह खुद पर भरोसा करना सीखता है.
खुद के लिए फैसले लेने दें
बचपन से ही बच्चे को उसकी जिंदगी के छोटे-मोटे फैसले खुद लेने देना चाहिए और अगर घर में भी आप कोई काम कर रहे हैं तो बच्चे की सलाह मांग सकते हैं. इससे उसमें फैसले लेने का कॉन्फिडेंस आने के साथ ही जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी.
मन की बात खुलकर कहने दें
बच्चा काफी जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं और वह हर नई चीज के बारे में जानना चाहते हैं. इसी के साथ उनके चंचल मन में कई तरह की बातें होती हैं जो वह शेयर करना चाहते हैं, ऐसे में पेरेंट्स का डांट देना बच्चे का कॉन्फिडेंस कम कर सकता है. बच्चे को मन की बात खुलकर कहने की आजादी दें और गलत बात होने पर समझाएं.
बच्चे को गलती करने की भी दें आजादी
माता-पिता को अक्सर डर लगा रहता है कि कहीं बच्चा कुछ गलत न कर दे और इस डर से वह बच्चे पर या तो बहुत ज्यादा नजर रखते हैं या फिर वह उसे छोटी-छोटी बातों पर टोकते रहते हैं, लेकिन बच्चे का कॉन्फिडेंस बूस्ट करना है तो उसे गलती करने दीजिए और फिर सुधारिए. इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चा कुछ भी गलत करे तो उसे करने देना चाहिए, बल्कि इसका मतलब यह है कि जब बच्चा कोई काम खुद कर रहा है और उस दौरान कुछ गलती होने की संभावना है तो होने दीजिए ताकि वह सीख ले सके कि आगे उस काम को किस तरह से करना है और इससे उसमें किसी भी काम को खुद के दम पर करने का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा.
ऐसे दूर रहेगा बच्चे का स्टेज पर जाने का डर
बच्चे को मेहमान आने पर घर में चले जाने को न कहें बल्कि उसे लोगों से घुलने-मिलने दें. इसके अलावा अगर बच्चा स्कूल के अलावा भी किसी सोशल कार्यक्रम जैसे फेस्टिवल के मौके पर सोसाइटी में होने वाले प्रोग्राम आदि में पार्टिसिपेट करना चाहता है तो से रोके नहीं बल्कि इसके लिए उसे गाइड करें. इससे बच्चे में सोशल बिहेवियर की आदत डेवलप होगी और वह भीड़ में भी कॉन्फिडेंट रहेगा.