राष्ट्रवाद पर कोई समझौता नहीं… गोरखपुर में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि यदि हम राष्ट्रवाद से समझौता करेंगे तो यह राष्ट्र के साथ घोर विश्वासघात होगा, जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें समझाने की जरूरत है. उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल का उद्घाटन करने के लिए गोरखपुर आए जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि कोई कैसे सोच सकता है कि हमारे महान भारत में, जहां लोकतंत्र जीवित है, वहां पड़ोसी देशों जैसी स्थिति हो सकती है? अगर कोई देश पर सवाल उठाएगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि चारों तरफ नजर फैलाइए, क्या कोई देश हम जैसा है? क्या कोई देश हमारी तरह संस्कृतिक विरासत का धनी है? हमारी 5000 साल की संस्कृति आज भी जीवंत है. मेरी बात को आप लिख लीजिए, आने वाले हर पल में हम इस संस्कृति को आगे बढ़ाते रहेंगे.
ऋषि परंपरा का मूल मंत्र है कि हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं।
हमारे ओजस्वी प्रधानमंत्री जी ने जब विश्व कूटनीति को दो सिद्धांत दिए, उन सिद्धांतों के मूल में ऋषि परंपरा है।
पहला, भारत ने कभी विस्तारवाद में विश्वास नहीं किया। किसी अन्य की ज़मीन को नहीं देखा; pic.twitter.com/kGagOsVZFs
— Vice-President of India (@VPIndia) September 7, 2024
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ऋषि परंपरा का मूलमंत्र है कि हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने जब विश्व कूटनीति को दो सिद्धांत दिए, उन सिद्धांतों के मूल में ऋषि परंपरा है.
Dialogue और Diplomacy समाधान का है रास्ता
चित्रकूट में आयोजित अन्य कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति नेकहा कि पहला, भारत ने कभी विस्तारवाद में विश्वास नहीं किया. किसी अन्य की जमीन को नहीं देखा; और दूसरा, परिस्थिति चाहे जैसी हो लेकिन किसी भी संकट या अंतर्राष्ट्रीय कलह का समाधान युद्ध नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि समाधान का एक ही रास्ता है, Dialogue और Diplomacy. प्रधानमंत्री ने जो कहा था, वह विचार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है.
यदि हम राष्ट्रवाद से समझौता करेंगे तो वह राष्ट्र के साथ चरम धोखा होगा!
जो लोग ऐसा कर रहे हैं, आवश्यकता है उनको समझाने की।
कैसे कोई कल्पना कर सकता है कि हमारे महान भारत में, जहां प्रजातंत्र जीवंत है, वहां पड़ोसी देश जैसे हालात हो सकते हैं?
यदि कोई राष्ट्र पर प्रश्नचिन्ह pic.twitter.com/S6QKW7HuiK
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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि भारत को 1990 के दशक में वित्तीय संकट से निपटने के लिए विदेश में सोना गिरवी रखना पड़ा था. उसके बाद से भारत ने एक लंबा सफर तय किया है . कोई कैसे कल्पना कर सकता है कि भारत जैसे देश को इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.
“राष्ट्र-विरोधी ताकतों” पर उपराष्ट्रपति ने जताई चिंता
उन्होंने कहा कि जब दुनिया के महान लोगों को परेशानी हुई, जब वे रास्ता भटक गए, जब उन्होंने अंधेरा देखा, तो उन्होंने भारत की ओर रुख किया. वर्तमान तकनीकी युग में बड़े-बड़े नाम कमाने वाले लोगों को भी मार्गदर्शन और ज्ञान इसी देश में मिला है.
Hon’ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar addressed the gathering at the inauguration ceremony of Sainik School Gorakhpur in Uttar Pradesh today. #SainikSchool @myogiadityanath pic.twitter.com/YnCPWGk4F7
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उन्होंने कहा कि हमारे देश की ऋषि परंपरा के कारण ही आज भारत जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगा रहा है!
पिछले महीने, जोधपुर में राजस्थान उच्चन्यायालय के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने “राष्ट्र-विरोधी ताकतों” पर चिंता जताई थी और कहा था कि जो लोग कह रहे हैं कि भारत को भी बांग्लादेश जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा.