SBI Life ने नहीं सेटल किया डेथ क्लेम, अब देना होगा 1 करोड़ का जुर्माना
भारत की प्रमुख बीमा कंपनी एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस पर सेक्टर रेग्युलेटर इरडा (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की इस सब्सिडियरी पर ये जुर्माना बीमा से जुड़े कई नियमों का पालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है. इतना ही नहीं कंपनी पर जुर्माना लगाने की एक वजह डेथ क्लेम्स का सेटलमेंट नहीं होना भी है.
इरडा ने अपनी जांच में पाया कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने जब अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए वेब एग्रीगेटर्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किए, तो उसमें बीमा सेक्टर से जुड़े कई नियमों का उल्लंघन किया गया. इतना ही नहीं नियामक ने ये भी पाया कि बीमा कंपनी ने कई लोगों के इंश्योरेंस क्लेम को चुकाने से मना कर दिया. इसमें डेथ क्लेम्स भी शामिल हैं और इसके लिए इरडा ने कंपनी को एक एडवाइजरी भी जारी की है.
कंपनी ने किया इन नियमों का उल्लंघन
इरडा की जांच में पाया गया कि इंश्योरेंस सेक्टर के वेब एग्रीगेटर्स जैसे कि पॉलिसी बाजार, एमआईसी इंश्योरेंस, कंपेयर पॉलिसी, ईजी पॉलिसी और विशफिन के साथ जब कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट साइन किए, तो उसमें प्रीमियम रिमाइंडर और पॉलिसी सर्विस असिस्टेंट जैसी जिम्मेदारियां इन एग्रीगेटर्स को सौंप दी गईं. लेकिन इन एग्रीमेंट में इन सर्विस की डिटेल्स को सही से नहीं बताया गया.
इन सर्विस के लिए बीमा कंपनी ने 1.93 करोड़ रुपए का पेमेंट किया, लेकिन इनकी जानकारी नहीं दी. वहीं कंपनी ने जिनको इस काम के लिए वेंडर बनाया ( एक्सटेंट मार्केटिंग एंड टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड को पेमेंट का विशेष मामला) उनके पास इसका इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं था और उन्होंने भी ये काम आउटसोर्स कर दिया और करीब 95 प्रतिशत रिवेन्यू थर्ड पार्टी को ट्रांसफर किया गया.
डेथ क्लेम्स सेटल करने की एडवाइजरी
इसके अलावा इरडा ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को बीमा कानून-1938 के सेक्शन-45 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का परामर्श दिया है. इरडा ने पाया कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने करीब 21 बीमा क्लेम को खारिज कर दिया. इसकी वजह ये बताई गई कि व्यक्ति की मृत्यु बीमा कराने के 3 साल के भीतर हो गई, जबकि इसकी सूचना 3 साल पूरा होने के बाद दी गई. इस पर इरडा ने कहा कि कंपनी इसके समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई. वहीं 17 अन्य मामलों में भी कंपनी ने डेथ क्लेम इसलिए रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मौत की तारीख पॉलिसी कराने के 3 साल के भीतर थी. इस पर इरडा ने कंपनी को सेक्शन-45 का पालन करने को कहा है.