मोबाइल के बाद ईवी में बजेगा भारत का डंका, मारुति ने बना लिया ये प्लान

जहां एक ओर भारत मोबाइल यानी इलेट्रॉलनिक सेक्टर में पूरी दुनिया में धम मचा रहा है और भारत से रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है. अब उसी तरह से ईवी सेक्टर में भारत की धूम मचने वाली है. देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी ने ईवी सेक्टर में उतरने के साथ जापान और यूरोप में एक्सपोर्ट तक का प्लान बना लिया है. जिससे भारत में रोजगार बढ़ने के साथ देश की इकोनॉमी को भी काफी फायदा होगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मारुति सुजुकी ने किस तरह का प्लान बनाया है.
मारुति का सुपर प्लान
मारुति सुजुकी भारत से यूरोप और जापान के बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) एक्सपोर्ट करने की प्लानिंग कर रही है. कंपनी के एमडी और सीईओ हिसाशी टेकुची ने जानकरी देते हुए कहा कि ऑटोमेकर के पास 500 किमी की हाई-रेंज वाली हाई-स्पेसिफिकेशन ईवी होगी और यह 60 किलोवाट-घंटे की बैटरी से चलेगी. उद्योग मंडल सियाम के 64वें एनुअल सेशन में बोलते हुए ताकेउची ने कहा कि हमारे पास ऐसे कई उत्पाद होंगे. हमारे सभी प्रोडक्ट, सर्विस, सॉल्यूशन और कंयूनिकेशन एक ही थीम ‘कस्टमर के विश्वास में वृद्धि’ पर होंगे.
उन्होंने कहा कि देश को इसकी जरूरत भी है क्योंकि केवल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ही युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा कर सकता है और भारत को एक विकसित राष्ट्र बना सकता है. कंपनी के प्रमुख ने आगे कहा कि हम अपने ईवी कस्टमर्स के लिए ईवी खरीदने पर उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कई प्रकार के सॉल्यूशन लेकर आएंगे. हम सेल्स को बढ़ाने और कस्टमर्स में विश्वास पैदा करने के लिए अपने नेटवर्क की ताकत का यूज करेंगे.
इन फ्यूल पर कार लाने की तैयारी में मारुति सुजुकी
सीईओ ने कहा कि डॉमेस्टिक मार्केट में वह पॉल्यूशन से निपटने के लिए अपनी कारों में सभी प्रकार की टेक्नोलॉजी का यूज करना करना चाहता है. ईवी और हाइब्रिड कारों के अलावा, कंपनी बायो फ्यूल और हाइड्रोजन के आसपास मॉडल विकसित करने पर भी विचार कर रही है. ताकेउची ने कहा कि हम कार्बन उत्सर्जन और तेल की खपत से निपटने के लिए सभी टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि बायो फ्यूल के साथ, हम में से कई लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि भारत में प्राकृतिक संसाधनों के विशाल खजाना है.
भारत में विशाल मानव संसाधन, कृषि संसाधन और पशु संसाधन मौजूद हैं और ये सभी कुछ न कुछ बायो वेस्ट उत्पन्न करते हैं. उन्होंने कहा, इन्हें बायो फ्यूल में चेंज किया जा सकता है और इनमें बहुत कम कार्बन फुटप्रिंट होता है और कई बार इनमें से कार्बन पैदा ही नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि हालांकि दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो बायो फ्यूल की पॉवर का यूज कर रहे हैं. मुझे लगता है कि भारत जल्द ही बायो फ्यूल में दुनिया का नंबर एक बन सकता है और बाकी दुनिया भारत से सीखना शुरू कर सकती है. कंपनी हेड ने कहा कि भारत के आकार और यूनीक कंटेक्स्ट को देखते हुए, हमें बाकी दुनिया से सॉल्यूशन की नकल करने की जरूरत नहीं है.
एक्सपोर्ट में मल्टीपल ग्रोथ का प्लान
उन्होंने कहा, एमएसआई की योजना 2030 तक अपना निर्यात बढ़ाने की है. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में ऑटोमेकर के विदेशी शिपमेंट में “कई गुना वृद्धि” देखी जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत को ग्लोबल ट्रेड के एक बड़े हिस्से को लक्षित नहीं करना चाहिए. मारुति सुजुकी के रूप में, मैं आपको बता सकता हूं कि हम फीसदी में ग्रोथ के बारे में नहीं बल्कि मल्टीपल ग्रोथ के संदर्भ में बात कर रहे हैं. इसलिए, आज भारत से हमारा निर्यात तीन गुना है इतना ही नहीं, आज से लगभग 6 वर्षों में हमारा निर्यात आज का 3 गुना हो जाएगा.
कंपनी ने अपने उत्पादों को वापस जापान में निर्यात करना शुरू कर दिया है. पिछले महीने इसने फ्रोंक्स को जापान निर्यात किया था. 1,600 से अधिक वाहनों की पहली खेप गुजरात के पीपावाव बंदरगाह से जापान के लिए रवाना हुई. यह जापान में लॉन्च होने वाला एमएसआई का पहला स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) है.
वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2024 के बीच MSI के निर्यात में 1,85,774 यूनिट की वृद्धि हुई है. लोकलाइजेशन का समर्थन करते हुए, उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण कंपोनेंट के इंपोर्ट पर निर्भरता में कटौती पर भी ध्यान केंद्रित किया. ताकेउची ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत जैसे बड़े देश को पूरे सप्लाई चेन में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता है और इंपोर्ट निर्भरता लगभग समाप्त हो जाती है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *