ई-रिक्शा खरीदने पर भी मिलेगा PM E-Drive Scheme का फायदा, मिलेगी इतने रुपए की सब्सिडी

देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीदारी करने के लिए लोग प्रोत्साहित हों, इसके लिए अब सरकार ने एक नई सब्सिडी योजना ‘PM E-Drive Scheme’ शुरू करने का ऐलान किया है. ये देश में 9 साल तक चली फेम सब्सिडी स्कीम का स्थान लेगी. अब इसमें बड़ा अपडेट आया है कि इस योजना के तहत लोगों को इलेक्ट्रिक स्कूटर की खरीद ही नहीं, बल्कि ई-रिक्शा खरीदने वालों के लिए भी बड़ी सब्सिडी का ऐलान किया गया है.
ई-रिक्शा को मिलेगा सब्सिडी का फायदा
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा किई-रिक्शा खरीदारों को भी पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत पहले साल में 25,000 रुपए और दूसरे साल में 12,500 रुपए की सब्सिडी का फायदा मिलेगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सब्सिडी योजना दो साल तक जारी रहेगी.
वहीं एल5 कैटेगरी (माल ढुलाई में उपयोग होने वाले तिपहिया वाहन) के लिए पहले साल में 50,000 रुपए की सब्सिडी और दूसरे साल में 25,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी.
बैटरी की पावर से तय होगी सब्सिडी
एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत बैटरी की पावर के आधार पर सब्सिडी तय होगी. ये 5,000 रुपए प्रति किलोवाट घंटा की पावर के हिसाब से दी जाएगी.
हालांकि पहले साल में हर दोपहिया वाहन के लिए सब्सिडी की मैक्सिमम लिमिट 10,000 रुपए होगी. दूसरे साल में यह सब्सिडी आधी 2,500 रुपए प्रति किलोवाट घंटा हो जाएगी और तब मैक्सिमम फायदा 5,000 रुपए से अधिक नहीं होगा.
मार्केट में मौजूद हैं ये इलेक्ट्रिक स्कूटर
अभी मार्केट में ओला, टीवीएस, एथर एनर्जी, हीरो विडा (हीरो मोटोकॉर्प) और चेतक बजाज जैसे पॉपुलर इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी क्षमता 2.88 केडब्ल्यूएच (किलोवाट घंटा) से 4 केडब्ल्यूएच तक है. इनकी कीमत 90,000 रुपए से 1.5 लाख रुपए है.
ऐसे मिलेगी पीएम ई-ड्राइव योजना का फायदा
योजना के तहत पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के जरिये एक आधार प्रमाणित ई-वाउचर जारी किया जाएगा. इस पर खरीदार और डीलर विधिवत हस्ताक्षर करेंगे और उसे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. खरीदार को योजना के तहत सब्सिडी का फायदा लेने के लिए पोर्टल पर सेल्फी अपलोड करनी होगी.
योजना में सरकारी सब्सिडी के दुरुपयोग से बचने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी का कहना है कि फेम-2 से हमने कई चीजें सीखीं. इसलिए हर छह महीने में प्रोडक्शन की जांच होगी.इससे यह पता चलेगा कि चीजें दुरुस्त हैं या नहीं.

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