बांग्लादेश को याद आने लगा दाल-आटे का भाव, 19-19 घंटे की बिजली कटौती, मालदीव से लगाई ये गुहार
बांग्लादेश में कानून व्यवस्था और लोकतंत्र की बहाली तो बड़ा मुद्दा है ही इसके अलावा गंभीर आर्थिक संकट यूनुस सरकार की मुश्किलों में इजाफा कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से जाते ही देश में आर्थिक संकट गहराने लगा है. देश में घंटों हो रही बिजली कटौती से उद्योगों को बड़ा झटका लगा है, हालात ऐसे हैं कि अंतरिम सरकार को अब मालदीव तक से गुहार लगानी पड़ रही है.
भारत को तेवर दिखाने वाली अंतरिम सरकार के पास फिलहाल ऐसा कोई पुख्ता प्लान नहीं है जिस पर अमल कर बांग्लादेश को आर्थिक संकट से उबारा जा सके. बिजली उत्पादन में आई भारी गिरावट की वजह से बांग्लादेश अंधकार युग में जीने को मजबूर है तो वहीं अपने लोगों को रोजगार देने के लिए उसे मालदीव से मदद मांगनी पड़ रही है. ढाका में दोनों देशों के अधिकारियों की मुलाकात में बांग्लादेश की ओर से गुजारिश की गई है कि मालदीव अपने यहां बांग्लादेश की नर्सों को नौकरी दे.
ग्रामीण इलाकों में 19-19 घंटे बिजली कटौती
बांग्लादेश में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है, इसका असर अब देश की बिजली सप्लाई पर भी पड़ा है. बांग्लादेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 19-19 घंटे बिजली कटौती की जा रही है, वहीं शहरी इलाकों में भी 5-5 घंटे बिजली सप्लाई ठप रहती है. दरअसल बांग्लादेश करीब 25500 मेगावाट बिजली खुद बनाता है और बाकी भारत से खरीदता है. लेकिन फिलहाल उसके बिजली उत्पादन क्षमता आधी से भी कम रह गई है. वह महज़ 12500 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है जिससे देशभर में घंटों बिजली कटौती करनी पड़ रही है.
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद सत्ता में आई अंतरिम सरकार के लिए बिजली संकट बड़ी चुनौती बन गया है. दरअसल वर्तमान में बांग्लादेश के कई पावर प्लांट्स बंद पड़े हैं, साथ ही भारत से होने वाली बिजली सप्लाई का बकाया अधिक होने की वजह से यह संकट और गहरा गया है.
2 साल से बिजली संकट से जूझ रहा बांग्लादेश
हालांकि बांग्लादेश बीते 2 साल से बिजली संकट का सामना कर रहा है, लेकिन वर्तमान में यह अपने सबसे बुरे दौरे से गुज़र रहा है. इस बिजली संकट की कई वजह हैं, सबसे बड़ा कारण है बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट. मई 2023 में बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर महज़ 30.18 अरब डॉलर रह गया था, जिसके कारण बांग्लादेश बिजली उत्पादन के लिए जरूरी तेल और गैस का आयात नहीं कर पा रहा है.
इसके अलावा बांग्लादेश के कुछ पावर प्लांट्स तकनीकी खराबी की वजह से आंशिक और पूर्ण रूप से बंद पड़े हैं. साथ ही बिजली बकाया बिल का भुगतान न करने की वजह से भी बांग्लादेश को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) का कहना है कि गैस सप्लाई में कमी की वजह से 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन रुक गया है.
अडाणी ग्रुप का $800 मिलियन बकाया
वहीं भारत से बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करने वाले अडाणी ग्रुप ने भी इसमें कटौती की है. बांग्लादेश पर अडाणी ग्रुप का करीब 800 मिलियन डॉलर (6700 करोड़ रुपये) का बिल भुगतान बकाया है, लिहाजा अडाणी ग्रुप जो बांग्लादेश को करीब 1500 मेगावाट की बिजली सप्लाई करता था, उसने अपने हाथ खींच लिए हैं और अब महज़ 500 मेगावाट बिजली अडाणी ग्रुप सप्लाई कर रहा है.
वहीं भारत के त्रिपुरा से भी होने वाली 160 मेगावाट बिजली सप्लाई फिल्हाल रोक दी गई है, इसके अलावा बांग्लादेश के खुल्ना में भारत की ओर से 1100 मेगावाट बिजली सप्लाई होती थी, लेकिन भुगतान बकाया होने की वजह से इसमें भी कटौती कर 900 मेगावाट बिजली ही सप्लाई की जा रही है.
IMF से कर्ज लेने को मजबूर बांग्लादेश
दरअसल बांग्लादेश बिजली उत्पादन के लिए पूरी तरह से ईंधन सप्लाई पर निर्भर है. इसके मतारबारी पावर प्लांट की 1150 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है, लेकिन इसके लिए 13 हजार टन कोयले की जरूरत है. वर्तमान में इस पावर प्लांट में 8 हजार टन कोयला आपूर्ति हो पा रही है जिसके चलते यह पावर प्लांट महज 855 मेगावाट बिजली उत्पादन कर पा रहा है.
बिजली संकट का असर बांग्लादेश के उद्योगों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. इसकी इकोनॉमी ज्यादातर निर्यात पर निर्भर है, ऐसे में उद्योगों और कारखानों के बंद रहने से अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर देखने को मिल सकता है. हालात ऐसे हैं कि बांग्लादेश को अब IMF से 4.7 बिलियन डॉलर का कर्ज लेना पड़ रहा है.
हालांकि अतंरिम सरकार की मंत्री सैयद रिजवाना हसन ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार दो से तीन हफ्तों में बिजली संकट की समस्या का समाधान निकाल लेगी.