क्या अभी भी ‘दुश्मन नंबर 1’ है महंगाई, अक्टूबर में कम होगी लोन EMI?

अगस्त का महीना महंगाई के मोर्चे पर काफी अहम माना जा रहा था. सभी जानकारों की नजरें सिर्फ इसी बात पर टिकी हुई थीं कि क्या अगस्त के महीने में भी महंगाई के आंकड़ें 4 फीसदी से नीचे रह सकेंगे या नहीं? 12 सितंबर को जब महंगाई के आंकड़ें आए तो पूरे देश को राहत मिलती हुई दिखाई दी. लगातार दो महीने महंगाई के आंकड़ें 4 फीसदी से नीचे रही हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या देश के लिए अभी भी महंगाई ‘दुश्मन नंबर 1’ बनी हुई है? अगर नहीं तो अक्टूबर की एमपीसी ब्याज दरों में कटौती होगी? इस सवाल का जवाब सितंबर के महीने में महंगाई के आंकड़ों को देखकर मिल सकेगा? सितंबर महंगाई के मोर्चे पर अगस्त के मुकाबले बड़ा लिटमस टेस्ट होगा.
महंगाई पर सफर जारी है
शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर की ओर से इस मामले में बड़ी बात कही. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत में महंगाई कम हुई है, लेकिन हमें अभी सफर पूरा करना है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की रिटेल महंगाई अगस्त में 3.65 फीसदी रही. यह लगातार दूसरा महीना है, जब महंगाई चार फीसदी से कम रही. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि महंगाई चार फीसदी पर बनी रहे, जिसमें ऊपर नीचे की और दो फीसदी की घटबढ़ हो सकती है.
दूसरी तरफ देखने को जोखिम नहीं
शक्तिकांत दास ने ब्रेटन वुड्स कमेटी के प्रोग्राम ‘फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024’ में अपने संबोधन के दौरान कहा कि महंगाई अप्रैल 2022 में अपने चरम 7.8 फीसदी से कम होकर चार फीसदी के लक्ष्य के आसपास संतोषजनक लेवल पर आ गई है, लेकिन हमें अभी भी सफर तय करना है और हम दूसरी तरफ देखने का जोखिम नहीं उठा सकते. आरबीआई के अनुमानों से संकेत मिलता है कि महंगाई 2023-24 में 5.4 फीसदी से घटकर 2024-25 में 4.5 फीसदी और 2025-26 में 4.1 फीसदी हो जाएगी.
पॉलिसी पर बरतनी होगी सावधानी
गवर्नर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधि और व्यापार ने बड़े पैमाने पर नकारात्मक जोखिमों को झेला है, लेकिन महंगाई का अंतिम पड़ाव चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है. इससे वित्तीय स्थिरता के जोखिम भी पैदा हुए हैं. दास ने कहा कि ग्लोबली महंगाई में कमी की गति धीमी हो रही है, जिससे मॉनेटरी पॉलिसी को उदार बनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों को मॉनेटरी पॉलिसी का का प्रबंधन सोच-विचार करके करना चाहिए और सरकार को सप्लाई पक्ष के उपायों पर ध्यान देना चाहिए. दास ने कहा कि दरों में कटौती के लिए बाजार की उम्मीदें अब बढ़ रही हैं और खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत बदलाव के संकेतों के बाद ऐसा देखने को मिल रहा है.
क्या लोन ईएमआई कम होने में समय लगेगा?
जैसा कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी को लेकर इशारा किया है. उससे लगता है कि आने वाले महीनों यानी मौजूदा वित्त वर्ष में लोन ईएमआई कम होने के आसार नहीं है. आरबीआई का फोकस अभी महंगाई कम करने और ग्रोथ को कायम रखने में दिख रहा है. ईसीबी की ओर से लगातार दूसरी बार कटौती और फेड की ओर से सितंबर के महीने में संभावित कटौती के बावजूद आरबीआई की ओर से अक्टूबर और दिसंबर के महीने में ब्याज दरों में कटौती की कोई संभावना नहीं है.

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