इस ‘महारत्न’ कंपनी ने बनाया 25 हजार करोड़ का प्लान, इस सेक्टर की बदलेगी तस्वीर
देश की महारत्न कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड ने शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन पर काम करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए के निवेश कर प्लान कर रही है. कंपनी के चेयरमैन रंजीत रथ ने शनिवार को कहा कि कंपनी 2040 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में मदद के लिए क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में 25,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है. ओआईएल की शुद्ध शून्य योजना में गैस के जलने में कटौती और फंसे हुए गैस के व्यावसायीकरण के साथ-साथ नवीकरणीय बिजली उत्पादन क्षमता की स्थापना तथा हरित हाइड्रोजन, बायोगैस और इथेनॉल संयंत्रों का निर्माण शामिल है.
बांग्लादेश में डीजल का एक्सपोर्ट जारी
रथ ने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति के बावजूद, भारत ने बांग्लादेश को डीजल निर्यात करना जारी रखा है और कारोबार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी पाइपलाइन के जरिए बांग्लादेश को डीजल निर्यात करती है. रथ ने कहा, ‘इसमें कोई व्यवधान नहीं है.’ नुमालीगढ़ रिफाइनरी ओआईएल की अनुषंगी कंपनी है और रथ रिफाइनरी के भी चेयरमैन हैं. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी (असम) से पार्वतीपुर (बांग्लादेश) पाइपलाइन के जरिए डीजल का निर्यात जारी है. यह पाइपलाइन भारत में 5.156 किलोमीटर से होकर गुजरती है, जबकि बांग्लादेश में यह 124.346 किलोमीटर से होकर गुजरती है.
कुछ ऐसा बनाया प्लान
उन्होंने बताया कि शुद्ध शून्य योजनाएं कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन को 2025-26 तक 90 लाख टन तेल और तेल समकक्ष गैस तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ-साथ चलेंगी, जो पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में उत्पादित 65 लाख टन है. कंपनी अरुणाचल प्रदेश के खेतों से असम तक प्राकृतिक गैस लाने के लिए 80 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने की भी योजना बना रही है, ताकि परिवहन और उद्योगों में प्रदूषणकारी तरल ईंधन की जगह ली जा सके. उन्होंने कहा कि शुद्ध शून्य लक्ष्य हासिल करने के लिए कई तरह की गतिविधियों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने असम में 640 मेगावाट और हिमाचल प्रदेश में 150 मेगावाट की सौर परियोजनाओं के लिए पहले ही योजना बना ली है.
ये सरकारी कंपनियां भी कर रही हैं काम
ओआईएल उन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में शामिल हो गई है जो 2070 तक भारत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने में मदद करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं. देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) 2046 तक शुद्ध शून्य का लक्ष्य बना रही है, जबकि तेल और गैस उत्पादक ओएनजीसी ने 2038 तक इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और गैस उपयोगिता कंपनी गेल (इंडिया) लिमिटेड ने भी अपने परिचालन से शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए 2040 तक का लक्ष्य रखा है, जबकि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) 2046 तक ऐसा करना चाहती है.