आलू-प्याज देश में फिर बढ़ाएंगे महंगाई, क्या सच कह रहा है आरबीआई?
आरबीआई ने हाल ही में अपने एक नोट में कहा है कि देश में महंगाई भले ही कम हो गई हो, लेकिन फूड प्राइस में इजाफे का जोखिम अभी बना हुआ है. उसके बाद अब आलू और प्याज के प्रोडक्शन को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आ गई है, जिससे में फिर महंगाई के आंकड़ें बढ़ सकते हैं. शनिवार को जारी सरकार के तीसरे एडवांस अनुमान के अनुसार, 2023-24 में भारत का बागवानी उत्पादन मामूली 0.65 फीसदी घटकर 353.19 मिलियन टन होने की संभावना है. जून में जारी 2023-24 के दूसरे एडवांस अनुमान में बागवानी फसलों का कुल उत्पादन 352.23 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया था.
आलू और प्याज के प्रोडक्शन में गिरावट
प्रमुख क्षेत्रों में कम पैदावार के कारण प्याज का उत्पादन 19.76 फीसदी घटकर 24.24 मिलियन टन होने की संभावना है. अन्य सब्जियां जैसे बैंगन, रतालू और शिमला मिर्च का भी उत्पादन कम हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट में 7 सितंबर को बताया था कि भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भविष्यवाणी की गई अत्यधिक वर्षा के कारण प्याज के उत्पादन में गिरावट आ सकती है. आलू का उत्पादन 5.13 फीसदी घटकर 57.05 मिलियन टन होने का अनुमान है. ये गिरावटें दो आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कंट्रोल करने में चुनौतियां पैदा कर सकती हैं, जो खाद्य महंगाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
लगातार दो महीने महंगाई हुई कम
भारत की खुदरा महंगाई अगस्त में बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई, जो जुलाई में दर्ज 3.6 फीसदी से थोड़ी अधिक है. लगातार दो महीनों में महंगाई के आंकड़ें आरबीआई के टारगेट को मैच रहे हैं. व्यक्तिगत फसल की पैदावार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, कुल सब्जी उत्पादन 205.80 मिलियन टन पर स्थिर रहने का अनुमान है. अनुमानों से पता चला है कि टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, टैपिओका, लौकी, कद्दू, गाजर, खीरे, करेला, परवल और भिंडी के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
टमाटर का प्रोडक्शन बढ़ा
पिछले वर्ष की कीमत वृद्धि के कारण टमाटर का उत्पादन 4.38 फीसदी बढ़कर 21.32 मिलियन टन हो गया है. रसोई में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें पिछले साल आसमान छूकर 250 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं, जिससे किसानों को ऊंची बाजार कीमतों का फायदा उठाने की उम्मीद में खेती बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया. टमाटर के उत्पादन में वृद्धि से भोजन की लागत कम करने में मदद मिली है, शाकाहारी थाली में साल-दर-साल 8 फीसदी और मांसाहारी भोजन में 12 फीसदी की कमी आई है.
आम और केले का प्रोडक्शन बढ़ा
आम, केले और अन्य फलों के कारण फलों का उत्पादन 2.29 फीसदी बढ़कर 112.73 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि सेब, मीठे संतरे, अमरूद और अनार में गिरावट देखने की उम्मीद है, लेकिन फलों के निर्यात में वृद्धि पर इसका असर पड़ने की संभावना नहीं है, जो चावल और गेहूं जैसे अनाज पर लंबे समय से प्रतिबंध के कारण निर्यात मात्रा में बने अंतर को भरने में मदद कर रहा है. सरकार ने पिछले वर्ष के अंतिम अनुमान की तुलना में शहद, फूल, वृक्षारोपण फसलों, मसालों और सुगंधित और औषधीय पौधों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज करने का भी अनुमान लगाया है. वित्त वर्ष 2024 में भारत का ताजे फल और सब्जियों का निर्यात 14% बढ़कर 3.65 बिलियन डॉलर हो गया.
आरबीआई ने हाल ही में क्या कहा?
खुदरा महंगाई के लगातार दूसरे महीने चार फीसदी से नीचे रहने के बावजूद खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव एक आकस्मिक जोखिम बना हुआ है. रिजर्व बैंक के सितंबर बुलेटिन के एक लेख में यह भी कहा गया है कि घरेलू खपत दूसरी तिमाही में तेजी से बढ़ने की ओर अग्रसर है, क्योंकि ग्रॉस (हेडलाइन) महंगाई में कमी आ रही है तथा ग्रामीण मांग में भी सुधार हो रहा है. बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे रही. लेकिन हाल के अनुभव को ध्यान में रखते हुए खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव एक आकस्मिक जोखिम बना हुआ है.