स्विगी कराएगा बंपर कमाई, लेकर आएगा 10,400 करोड़ का आईपीओ
देश की बड़ी फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी अपना आईपीओ लेकर आ रही है. जानकारी के अनुसार कंपनी के आईपीओ का साइज 10,400 करोड़ रुपए होगा. सूत्रों के मुताबिक, स्विगी को अपने प्रस्तावित 1.25 अरब डॉलर यानी 10,400 करोड़ रुपए के पब्लिक इश्यू के लिए मार्केट रेगुलेटर से मंजूरी मिल गई है. बेंगलुरु स्थित कंपनी ने इस साल अप्रैल में गोपनीय फाइलिंग रूट से सेबी के साथ आईपीओ के लिए ड्राफ्ट पेपर दाखिल किया था.
फ्रेश इक्विटी और ओएफएस दोनों शामिल
स्विगी को अब बाजार नियामक के पास एक अपडेटिड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करना होगा. आईपीओ लॉन्च करने से पहले जनता को यूडीआरएचपी पर प्रतिक्रिया देने के लिए 21 दिन की अवधि प्रदान की जाएगी. आईपीओ से फ्रेश इक्विटी और ओएफएस दोनों को शामिल किया जाएगा. फ्रेश इक्विटी की वैल्यू 3,750 करोड़ रुपए (450 मिलियन डॉलर) और ओएफएस का कंपोनेंट 6,664 करोड़ रुपए (800 मिलियन डॉलर) के होने की उम्मीद है.
कौन-कौन बेच सकता है शेयर?
बैंकर्स का कहना है कि लॉन्च से पहले साइज बढ़ाया जा सकता है. 33 फीसदी हिस्सेदारी के साथ स्विगी के सबसे बड़े शेयरधारक प्रोसस और सॉफ्टबैंक जैसे प्रमुख निवेशकों द्वारा ओएफएस के माध्यम से अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेचने की संभावना है. अन्य प्रमुख शेयरधारकों में एक्सेल, एलिवेशन कैपिटल, मीटुआन, टेनसेंट, नॉर्थवेस्ट वेंचर पार्टनर्स, डीएसटी ग्लोबल, कोट्यू, इनवेस्को और जीआईसी शामिल हैं. स्विगी की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
जोमैटो ने दिया है तगड़ा रिटर्न
वित्त वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाहियों में, स्विगी ने 1,600 करोड़ रुपए के घाटे के साथ 5,476 करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया. इसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी, ज़ोमैटो ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त वर्ष के लिए 12,114 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जेनरेट किया था. इसी अवधि के दौरान 351 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के साथ प्रोफिटेबल रहा. ज़ोमैटो ने जुलाई 2021 में अपने आईपीओ के माध्यम से 9,375 करोड़ रुपए जुटाए थे. निफ्टी के 32 फीसदी लाभ की तुलना में स्टॉक पिछले वर्ष की तुलना में 192 फीसदी बढ़ा है. ज़ोमैटो का इश्यू प्राइस 76 रुपए था जो बढ़कर 291.70 रुपए पर पहुंच गया है.
सेबी ने 2022 में ‘प्री-फाइलिंग’ रूट पेश किया, जिससे कंपनियों को प्रारंभिक फाइलिंग का विवरण गोपनीय रखने की अनुमति मिली. यह मार्ग कंपनियों को इश्यू साइज निर्धारित करने में अधिक लचीलापन प्रदान करता है. अपडेटिड डीआरएचपी दाखिल होने तक प्रस्तावित नए शेयरों की संख्या को 50 फीसदी तक एडजस्ट किया जा सकता है.