ED की एंट्री, गिरफ्तारी, कर्नाटक में CBI बैन…MUDA स्कैम में सिद्धारमैया का क्या होगा?
कर्नाटक में मुडा स्कैम की गूंज के बीच सिद्धारमैया सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की एंट्री पर बैन लगाने का फैसला किया है. कर्नाटक की कैबिनेट ने इस संबंध में प्रस्ताव भी पास किया है. सीबीआई की एंट्री पर बैन को सिद्धारमैया सरकार के मास्टर प्लान के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि राज्य में मुडा स्कैम की जांच होनी है और मुख्यमंत्री खुद इस केस में आरोपी हैं.
सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले के बाद 3 सवाल उठ रहे हैं. पहला, क्या मुडा स्कैम में अब सीबीआई की एंट्री नहीं हो पाएगी? दूसरा, क्या ईडी इस केस की जांच कर सकती है और तीसरा क्या मुडा स्कैम में अब आगे क्या होगा?
इस स्पेशल स्टोरी में इन्हीं तीनों सवाल का जवाब विस्तार से जानिए…
क्या सीबीआई की एंट्री नहीं हो सकती है?
कर्नाटक सरकार ने बिना परिमशन सीबीआई की एंट्री पर बैन लगा दी है. यानी सीबीआई अगर किसी मामले में जांच करना चाहती है तो उसे राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. यह इसलिए किया गया है, क्योंकि सीबीआई का गठन दिल्ली अधिनियम के मद्देनजर है.
कर्नाटक सरकार के इस फैसले के बाद सीबीआई अब सीधे तौर पर कर्नाटक में एंट्री नहीं कर सकती है. हालांकि, किसी स्पेशल केस में हाई कोर्ट का परमिशन अगर होता है तो सीबीआई जांच के लिए कर्नाटक जा सकती है. बंगाल में कई मामलों में ऐसा हो चुका है.
कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश पर संदेशखाली और आरजी कर मेडिकल रेप मामले की जांच के लिए बंगाल में सीबीआई की एंट्री हुई. कुल मिलाकर अगर यह मामला हाई कोर्ट जाता है और हाई कोर्ट कहती है कि सीबीआई जांच होनी चाहिए, तो सीबीआई कर्नाटक में जांच कर सकती है.
क्या ईडी इस मामले की जांच कर सकती है?
एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी मुडा स्कैम की जांच कर सकती है? ईडी सूत्रों के मुताबिक एजेंसी दो ही स्थिति में किसी केस की जांच कर सकती है.
1. अगर किसी केस में ईडी को यह लगे कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है. या संबंधित मामले में PMLA एक्ट के तहत केस दर्ज हो. ईडी को यह जांच का अधिकार फेमा (1999) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत मिला हुआ है.
2. ईडी सूत्रों के मुताबिक अगर किसी मामले में FIR दर्ज होती है और वहां धोखाधड़ी और लेनदेन की साजिश का जिक्र होता है, तो जांच एजेंसी केस को टेकल कर सकती है. झारखंड में रांची सदर थाने में दर्ज ECIR RNZO/25/23 को ईडी ने इसी आधार पर टेकल किया था. इस मामले में वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई थी.
क्या सिद्धारमैया के खिलाफ कोई केस दर्ज है?
मुडा स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ अभी सीधे तौर पर कोई केस दर्ज नहीं है. लोकायुक्त इस मामले की जांच कर रही है. टीवी-9 कन्नड़ के मुताबिक लोकायुक्त जल्द ही इस मामले में एफआईआर दर्ज कर सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक केस में सिद्धारमैया को आरोपी नंबर-1 बनाया जा सकता है. हालांकि, इस मामले में जांच के लिए राज्यपाल को आवेदन देने वाले याचिकार्ताओं का कहना है कि लोकायुक्त ठीक ढंग से जांच नहीं कर रही है.
सिद्धारमैया की गिरफ्तारी हो सकती है?
फिलहाल, कुछ भी कहना मुश्किल है. हाई कोर्ट ने इस मामले पर आदेश देते हुए कहा था कि जरूरी नहीं कि जिन आरोप है, वो गलत हो, लेकिन जांच होनी चाहिए. वर्तमान में जांच प्री-मैच्योर स्टेज (शुरुआती दौर) में है.
सिद्धारमैया ने कहा है कि मैं राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हूं. मैं इस मामले में बेकसूर हूं और राजनीतिक साजिश के तहत मुझे फंसाने की कोशिश हो रही है.
मुडा स्कैम में सिद्धारमैया का नाम कैसे आया?
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने साल 2020 में एक स्कीम की शुरुआत की थी. इसके तहत जिन लोगों की जमीन विकास के काम के लिए लिया गया था, उन्हें 50-50 पॉलिसी के तहत शहर में जमीन और मुआवजा देने की बात कही गई थी. काफी आलोचना के बाद 2023 में इस स्कीम को रद्द कर दिया गया.
आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी ने गलत तरीके से इस स्कीम का लाभ लिया. उन पर करीब 55 करोड़ रुपए का लाभ लेने का आरोप है. बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर जांच की मांग कर रही है. पार्टी का कहना है कि सिद्धारमैया की वजह से ही यह खेल हुआ, इसलिए वे भी आरोपी हैं.