दिल्ली शाही ईदगाह मामला: रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लेकर क्यों किया जा रहा विरोध?

दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में झांसी की रानी की मूर्ति को लेकर कोर्ट में सांप्रदायिक राजनीति करने के लिए शाही ईदगाह समिति को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं और सांप्रदायिक राजनीति के लिए इतिहास को बांटने की कोशिश ना करें. साथ ही कोर्ट ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति से अपनी ‘निदंनीय’ दलीलों के लिए माफी मांगने को भी कहा. समिति ने आज शुक्रवार को बताया कि उसने माफीनामा जमा करा दिया है. मामले की सुनवाई अगले हफ्ते तक टल गई है.
दूसरी ओर, सदर बाजार के शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने के काम को आज शुक्रवार को रोक दिया गया है. काम को दिल्ली नगर निगम के निर्देश पर रोका गया है. वहीं दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 1 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई है.
फटकार के बाद समिति ने मांगी माफी
आज की सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह समिति ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि मामले में कल गुरुवार को माफीनामा रजिस्ट्री में जमा करा दिया गया है. फिलहाल कोर्ट ने शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने पर कोई रोक नहीं लगाई है.
पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मस्जिद समिति की ओर से दाखिल आवेदन में कही गई कुछ लाइनों पर भी कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें सिंगल जज के उस फैसले की सत्यता पर सवाल उठाया गया था, जिसके तहत कोर्ट ने डीडीए को शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने की अनुमति दी थी. हाई कोर्ट के सिंगल जज ने हाल ही में कुछ विवादित जमीन को मस्जिद की बजाए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का घोषित किया था.
सांप्रदायिक रंग देने की HC ने की निंदा
मामले की सुनवाई जब बुधवार को हुई, तब दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने पूरे प्रकरण को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश के लिए ईदगाह समिति की निंदा की और निर्देश दिया कि वह अपने इस आचरण के लिए गुरुवार तक माफी मांगे. कोर्ट की फटकार के बाद समिति के वकील ने बिना शर्त माफी मांग लिया और अपील वापस लेने की इजाजत भी मांगी. हाई कोर्ट में मामले की आज होने वाली सुनवाई एक अक्टूबर के लिए टल गई है.
जस्टिस मनमोहन ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि कोर्ट के जरिए सांप्रदायिक राजनीति खेली जा रही है. आप इसे ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे यह एक धार्मिक मसला है, लेकिन यह कानून और व्यवस्था की स्थिति है. झांसी की रानी की प्रतिमा होना गर्व की बात है. हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आपके पास एक मुद्दा है.
आपकी सलाह ही विभाजनकारीः HC
उन्होंने आगे कहा, “झांसी की रानी धार्मिक रेखाओं से परे होते हुए राष्ट्रीय नायक की तरह हैं. याचिकाकर्ता सांप्रदायिक रेखाएं खींच रहा है. आप लोग सांप्रदायिक रेखाओं के जरिए विभाजन न करें. आपकी सलाह ही विभाजनकारी है. अगर जमीन आपकी ही है तो खुद मूर्ति स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए था.”
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह समिति के वकील की ओर से तर्क दिया गया था कि शाही ईदगाह के सामने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाए जाने से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है. दिल्ली अल्पसंख्यक समिति पहले ही यथास्थिति का आदेश पारित कर चुकी है और इसलिए मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती.
DDA के वकील ने जताई नाराजगी
वकील ने अपनी दलील में आगे कहा कि अल्पसंख्यक समिति की ओर से जारी किए गए आदेश को सिंगल जज के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है, ऐसे में यह आदेश अभी भी लागू रहेगा. डीडीए और दिल्ली नगर निगम (MCD) की ओर से एक वैकल्पिक स्थल की पहचान कर ली गई है, जहां मूर्ति स्थापित की जा सकती है.
लेकिन सुनवाई के दौरान DDA के वकील की ओर से समिति की दलीलों में कुछ “निंदनीय” पैराग्राफ पर नाराजगी जताई गई और इस मामले में कोर्ट का ध्यान दिलाई गई. वकील ने कोर्ट से कहा कि वे सिंगल जज की ओर निर्देशित थे जिन्होंने हाल ही में फैसला किया कि विवादित जमीन डीडीए की है. इस पर डबल बेंच माफी मांगने को कहा.
हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने का मामला साफ हो गया है. यह विवाद तब सामने आया जब देशबंधु गुप्ता रोड से रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया और इसके लिए डीडीए ने शाही ईदगाह पार्क के पास जमीन दी.
मूर्ति को लेकर क्यों शुरू हुआ विवाद
हालांकि शाही ईदगाह मस्जिद समिति ने इसका विरोध किया. फैसले के खिलाफ समिति कोर्ट पहुंच गई. मस्जिद समिति की ओर से दावा किया गया था कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है. जबकि डीडीए का कहना था कि शाही ईदगाह के पास खाली पड़ी जमीन उसकी है.
दिल्ली सरकार के तहत आने वाले लोक निर्माण विभाग ने 2016-17 में एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें तीस हजारी से फिमिस्तान होते हुए पंचकुइया रोड की ओर भारी जाम को देखते हुए सिग्नल फ्री रोड बनाने का प्रोजेक्ट था. इसी के तहत देशबंधु गुप्ता रोड पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को शिफ्ट किया जाना था. डीडीए ने प्रतिमा को लगाने के लिए शाही ईदगाह के पास अपनी जमीनदे दी, लेकिन ईदगाह समिति इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट चली गई. लेकिन कोर्ट ने इसे सरकारी जमीन करार दिया.
इस बीच कल गुरुवार शाम को एक अफवाह फैली और बड़ी संख्या में लोग शाही ईदगाह मस्जिद के पास पहुंच गए. हालांकि पुलिस ने उन लोगों को समझाकर वापस भेज दिया, लेकिन आज जुम्मे की नमाज होने के कारण वहां पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और भारी पुलिसबल तैनात किए गए हैं.

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