क्या है काली खांसी की बीमारी, दुनिया के कई देशों में बढ़ रहे इसके मामले

इस समय कई बीमारियां एक साथ पांव पसार रही हैं. कहीं मंकीपॉक्स का आतंक है तो कहीं डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां बढ़ रही है. . इस समय दुनिया के किसी न हिस्से से कोई न कोई वायरस के संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. कुछ देशों में कोविड के केस आए हैं. तो कहीं वायरल बुखार के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच लोगों कोकाली खांसी की समस्या भी हो रही है.
काली खांसी या पर्टुसिस वायरस बैक्टीरिया के कारण फैल रही है इसमें छोटे बच्चों में लगातार खांसी, घरघराहट, खांसने के बाद उल्टी और चेहरा नीला पड़ जाना जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं जबकि मामूली मामलों में ये छींकने, नाक बहने, बुखार और हल्की खांसी जैसे लक्षणों में दिखाई दे रही है.
बैक्टीरियल बीमारी के बढ़े मामले
इन दिनों पूरी दुनिया में बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमण वाली बीमारियां फैल रही है. ऐसे में कई देशों में काली खांसी भी मौत का कारण बनी हुई है, इसके मामले काफी तेजी से फैल रहे हैं, 2024 में इसकी वजह से दो लोगों की मौत हुई जिसमें एक पांच सप्ताह का बच्चा और 65 साल का बुजुर्ग शामिल था. पिछले साल भी काली खांसी के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई, अकेले नीदरलैंड में ही इस साल काली खांसी से 8 लोगों की मौत की खबर सामने आई है जो पिछले 65 सालों में सबसे ज्यादा है. फ्लैंडर्स में, 2024 में पहले से ही काली खांसी के 2,217 मामले दर्ज किए जा चुके है. केवल आठ महीनों में, यह पहले से ही पूरे वर्ष में सामान्य संख्या से दोगुने से भी अधिक नंबर है.
यूरोपीय देशों में मंडरा रहा है काली खांसी का खतरा
न केवल निचले देशों में काली खांसी के संक्रमण में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है बल्कि यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) ने इस साल की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि अन्य यूरोपीय देश भी इसके बढ़ते मामलों को देख रहे हैं. ऐसे में ये बीमारी भी आने वाले समय में बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभर रही है.
काली खांसी होने की वजहें
– काली खांसी या पर्टुसिस, बोर्डेटेला पर्टुसिस नाम के बैक्टीरिया के कारण होती है. यह एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन संक्रमण है.
– संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से ये बैक्टीरिया हवा में फैलते हैं और अन्य लोगों द्वारा सांस लेने से उनके फेफड़ों में चले जाते हैं.
– ये ज्यादातर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है. इसमें मरीज को निमोनिया की शिकायत हो सकती है और उसकी पसलियां तक फट सकती है
बचाव के तरीके
– इससे बचाव के लिए वैक्सीन मौजूद है, जिसे बच्चों को लगवाया जा सकता है.
– गर्भवती महिलाओं को भी होने वाले बच्चे को इस संक्रमण से बचाने के लिए पर्टुसिस का टीका लगवाना चाहिए.
– संक्रमित बच्चों के साथ रहने वाले व्यस्कों, माता-पिता को भी इसकी बूस्टर डोज लगवानी चाहिए.

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