भारत की कूटनीति का दिखने लगा असर, सैनिकों को पीछे हटाने पर चीन राजी!

भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध को लेकर तनाव कम होता नजर आ रहा है. दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए मतभेद को कम करने और टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर कुछ आम सहमति बनी है.
इसके अलावा भारत और चीन इस मामले में दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए हैं. चीनी रक्षा मंत्रालय की ओर से गुरुवार को ये जानकारी दी गई है.
भारत-चीन के बीच बनी ‘आम सहमति’
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग जियाओगांग ने कहा कि चीन और भारत ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संपर्क बनाए रखा है. इसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और चीन के विदेश मंत्री, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीमा परामर्श तंत्र के जरिए बातचीत शामिल है.
झांग ने कहा कि बातचीत के माध्यम से चीन और भारत दोनों अपने मतभेदों को कम करने और एक-दूसरे की वाजिब चिंता को दूर करने के लिए बातचीत को मजबूत करने पर सहमति जताई है, साथ ही दोनों देशों के बीच कुछ आम सहमति भी बनी है. उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द किसी ऐसे समाधान पर पहुंचने पर सहमत हुए जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो.
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच चार साल से भी अधिक समय से सैन्य गतिरोध जारी है, इसे खत्म करने के लिए डेमचोक और देपसांग से सैनिकों को हटाने पर दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है.
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात का जिक्र
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक के साथ-साथ रूस में ब्रिक्स बैठक के इतर वांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच हुई हालिया मुलाकात का भी जिक्र किया.
उन्होंने देपसांग और डेमचोक सहित शेष क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रगति पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि दोनों पक्ष जिन नतीजों पर पहुंचे हैं उन्हें मजबूत करना जारी रखेंगे. साथ ही सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए द्विपक्षीय समझौतों और आपसी विश्वास बनाने उपायों का सम्मान करेंगे.
दरअसल जयशंकर और वांग यी की मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से 4 सितंबर को कहा गया था कि, ‘दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति की सेनाएं चीन-भारत सीमा के पश्चिमी इलाके में चार क्षेत्रों से पीछे हट चुकी हैं जिनमें गलवान घाटी भी शामिल है.’
विदेश मंत्री के बयान के बाद आई टिप्पणी
चीन की ओर से द्विपक्षीय समझौतों को लेकर टिप्पणी तब आई जब जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी और एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टिट्यूट के एक कार्यक्रम में कहा कि, ‘दोनों देशों के बीच समझौतों की एक श्रृंखला है जो इस बात पर अधिक से अधिक विस्तार से चर्चा करने के लिए कहती है कि सीमा पर शांति और स्थिरता किस तरह रहे.
जयशंकर ने कहा था कि LAC पर स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने 2020 में कोरोना महामारी के बीच देखा था कि चीन ने तमाम समझौतों का उल्लंघन किया और बड़ी संख्या में सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ले गया, जिसका हमने उसी तरह जवाब दिया.

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