25000 करोड़ का Hyundai IPO रचेगा इतिहास, इस पैसे से भारत में क्या करने का है प्लान?

भारत में विदेश से आकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करना और देखते ही देखते देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी बन जाना. भारत में लगभग 28 साल से टिके रहकर ये उपलब्धि हासिल करने का काम सिर्फ दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर्स ही कर सकी है. वरना तो फोर्ड और शेवरले जैसी कंपनियां भारत आकर वापस भी चली गईं. अब इसी कंपनी की इंडियन सब्सिडियरी ‘हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड’ अपना आईपीओ लाकर देश में एक नया इतिहास लिखने जा रही है.
हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ दो वजह से खास है. एक तो लगभग 2 दशक के बाद देश में कोई ऑटोमोबाइल कंपनी अपने आप को लिस्ट कराने जा रही है. दूसरा ये आईपीओ देश में आज तक का सबसे बड़ा आईपीओ होने वाला है क्योंकि इसका साइज करीब 25,000 करोड़ रुपए का है. ऐसे में जानने वाली बात ये है कि कंपनी इतने पैसे से भारत में क्या करने की योजना बना रही है?
हुंडई मोटर इंडिया से पहले देश में सबसे बड़ा आईपीओ 21,000 करोड़ रुपए का भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उससे पहले 18,300 करोड़ रुपए का पेटीएम (Paytm) लेकर आई थी.
IPO के पैसे Make In India का प्लान
हुंडई मोटर इंडिया इस आईपीओ से आने वाले पैसे का इस्तेमाल ‘मेक इन इंडिया’ को आगे बढ़ाने में करना चाहती है. दरअसल हुंडई के लिए भारत एक इंपोर्टेंट मार्केट है, लेकिन कंपनी भारत को अपने एक्सपोर्ट के हब के तौर पर भी इस्तेमाल करती है. अब कंपनी की प्लानिंग अपने एक्सपोर्ट वॉल्यूम को बढ़ाने की है, इसलिए कंपनी ने हाल में जनरल मोटर्स (शेवरले) के तालेगांव प्लांट को हाल में ही एक्वायर किया है, जो आने वाले दिनों में 2025 तक कंपनी की प्रोडक्शन कैपेसिटी में इजाफा करेगा.
हुंडई की भारत में बनी कारों की लैटिन अमेरिका, पश्चिमी एशियाई और अफ्रीकी देशों में अच्छी डिमांड है. इसलिए कंपनी आईपीओ से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल तमिलनाडु और महाराष्ट्र में नए प्रोडक्ट डेवलपमेंट के साथ-साथ अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाने पर भी करेगी. इसमें अफॉर्डेबल इलेक्ट्रिक कार का डेवलपमेंट भी शामिल है.
Tata और Maruti से टक्कर
हुंडई को देश में बढ़ते मार्केट कॉम्प्टीशन की भी चिंता है. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने 2031 तक 5 अरब डॉलर के निवेश का प्लान बनाया है. वह अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी डबल करने जा रही है. दूसरी ओर टाटा मोटर्स लगातार एसयूवी, इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे सेगमेंट में ग्रोथ कर रही है और हुंडई की नंबर-2 की पोजिशन को चुनौती दे रही है. वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा के मार्केट शेयर में भी बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में हुंडई को अपनी घरेलू डिमांड को बढ़ाने के लिए भी कैपेसिटी बढ़ाने पर फोकस करने की जरूरत पड़ रही है.
ईटी की एक खबर के मुताबिक 4 साल पहले हुंडई की इंडिया में मार्केट हिस्सेदारी 17.5 प्रतिशत थी जो अब 14.6 प्रतिशत के आसपास है. इस बीच टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 14 प्रतिशत हो चुकी है. वहीं विदेशी कंपनियों में उसके लिए बड़ी चुनौती टोयोटा मोटर्स है, जिसकी भारत में बाजाार हिस्सेदारी 4 से बढ़कर 6 प्रतिशत तक हो चुकी है.
भारत में हुंडई का अब तक का सफर
हुंडई मोटर इंडिया ने भारत में 1996 में कदम रखा था. कंपनी ने स्ट्रैटजी के तौर पर शुरुआत में अफॉर्डेबल कार पर अपना फोकस बनाया. उसके ‘सैंट्रो’ आर ‘आई10’ मॉडल ने देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की स्मॉल कार मार्केट की बादशाहत को तोड़ने का काम किया. भारत में मिड-साइज एसयूवी मार्केट को खड़ा करने का काम भी हुंडई ने 2015 में ‘क्रेटा’ की लॉन्चिंग के साथ किया.
एसयूवी सेगमेंट में इंस्टेंट हिट ने हुंडई के प्रॉफिट मार्जिन को बेहतर करने का काम किया है. आज कंपनी के पोर्टफोलियो में 13 कार मॉडल हैं जिसमें से 8 एसयूवी है. इसमें 2 प्योर इलेक्ट्रिक कार भी हैं. कंपनी की बिकने वाली कारों में 66% सिर्फ एसयूवी हैं. भारत में चेन्नई में कंपनी हर साल 8.24 लाख कारों का प्रोडक्शन करती है. तालेगांव प्लांट उसकी कैपेसिटी में पहले चरण में 1.7 लाख का इजाफा और करेगा.

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