सपा नेता जाहिद बेग के मकान पर चलेगा बुलडोजर, तालाब को पाटकर बनाया था मकान!
उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में समाजवादी पार्टी के नेताओं की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. हाल ही में सामने आए एक मामले में, दो बार के सपा विधायक जाहिद बेग पर अवैध तरीके से सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से गढ़ही तालाब को पाटकर आलीशान मकान बनाने का आरोप लगा है. प्रशासन अब इस अवैध निर्माण को गिराने की तैयारी कर रहा है. भदोही के जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कहा कि सपा विधायक जाहिद बेग का आवास जिस भूमि पर बना है, वह 1320 फसली में तालाब के रूप में दर्ज है.
उन्होंने बताया कि विधायक को नोटिस जारी कर बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और उनके खिलाफ धारा 67 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सिंह ने यह भी बताया कि यह जानकारी उन्हें मीडिया के जरिए मिली और प्रारंभिक जांच में पाया गया कि विधायक का मकान तालाब की जमीन पर ही बना है.
अवैध निर्माण की जांच
जिलाधिकारी के अनुसार, एसडीएम भदोही भान सिंह को जांच के निर्देश दिए गए हैं. जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई है कि विधायक का आवास जिस जमीन पर बना है, वह पूर्व समय से तालाब के रूप में दर्ज है. हालांकि, वह तालाब किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर पंजीकृत है. अब प्रशासन जल्द ही नाम काटकर बेदखली की कार्रवाई करेगा और मकान को गिराने की प्रक्रिया शुरू करेगा. सपा विधायक जाहिद बेग और उनके बेटे जईम बेग पर नाबालिग नौकरानी की मौत और बंधुआ मजदूरी के आरोप भी लगे हैं. उनकी पत्नी सीमा बेग अभी फरार हैं. विधायक के आलीशान आवास में नाबालिग नौकरानी का शव फंदे से लटका हुआ पाया गया था, जबकि एक अन्य नाबालिग नौकरानी को पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने मुक्त कराया था.
कानूनी कार्रवाई
जाहिद बेग के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम 2015, बंधित श्रम पद्धति उन्मूलन अधिनियम 1976 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं. भदोही और ज्ञानपुर कोतवाली में उनके खिलाफ पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप भी हैं. इस मामले ने प्रशासनिक अमले पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. 2022 में तत्कालीन एसडीएम द्वारा जांच के बाद विधायक का मकान तालाब की जमीन पर पाया गया था और उसे गिराने का आदेश भी दिया गया था. बावजूद इसके, सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से फाइल को दबा दिया गया. अब सवाल उठ रहा है कि योगी सरकार के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद, क्या इन कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई होगी?