कब वापस आएगा Sovereign Gold Bond? आया ये नया अपडेट
आम लोगों को फिजिकल गोल्ड की जगह पेपर गोल्ड के रूप में इंवेस्टमेंट करने का मौका देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम लॉन्च की थी. इन बॉन्ड की मैच्योरिटी पर लोगों को गोल्ड की करेंट वैल्यू के बराबर का रिटर्न मिलता है. साथ में हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज भी भारतीय रिजर्व बैंक देता है. लेकिन फिलहाल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सरकार बंद कर चुकी है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की वापसी कब होगी?
इस बारे में नया अपडेट देते हुए सरकारी सूत्रों के हवाले से सीएनबीसी ने एक खबर में कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार मौजूदा समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को फिर जारी करने को लेकर इच्छुक नहीं है. हालांकि वह इसे लेकर बाजार को कोई संकेत नहीं देना चाहती और इसलिए कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रही है.
सरकार क्यों नहीं लाना चाहती गोल्ड बॉन्ड?
इस साल देश में गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्तों के भुगतान का सिलसिला शुरू हुआ है, क्योंकि उनकी मैच्योरिटी इसी साल पूरी होनी शुरू हुई है. अब ऐसे में नई किस्त जारी करने को लेकर एक बड़ी बात ये कही जा रही है कि इसे जरूरत और मार्केट के हालातों का आकलन करने के बाद ही लाया जाएगा.
सरकारी सूत्र ने इसकी वजह साफ करते हुए बताया कि सरकार के लिए सबसे महंगा कर्ज गोल्ड बॉन्ड है, क्योंकि इसकी मैच्योरिटी पर चुकाने की जो लागत है वो सबसे ज्यादा है. इसके अलावा ये कोई सोशल सिक्योरिटी स्कीम भी नहीं है जिसकी ज्यादा लागत को वहन करना सरकार की मजबूरी हो
हालांकि जो लोग अब भी गोल्ड बॉन्ड खरीदने के इच्छुक हैं, वो सेकेंडरी यानी डीमैट फॉर्म में शेयर बाजार से इन्हें खरीद सकते हैं.
सरकार को कितना महंगा पड़ा गोल्ड बॉन्ड?
सोने की कीमत में बीते 10 साल से लगातार तेजी देखी जा रही है. इसिलए सरकार को इनके दोबारा जारी करने के बारे में सोचना पड़ रहा है. साल 2015 में सरकार ने जब पहला गोल्ड बॉन्ड लॉन्च किया था, तब इसका प्राइस 2684 रुपए प्रति ग्राम था. जबकि इसका भुगतान सरकार को 6132 रुपए प्रति ग्राम के रेट से करना पड़ा. ये सरकार को 120% रिटर्न के बराबर पड़ा, जबकि इंवेस्टर्स को सरकार ने हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज अलग से दिया.
इस तरह सरकार के लिए गोल्ड बॉन्ड भारी बोझ की तरह बन गया.मौजूदा समय में भी गोल्ड की कीमत 7800 रुपए प्रति ग्राम को पार कर चुकी है. यानी अब जब अगली किस्त का भुगतान सरकार को करना होगा, तो गोल्ड की इसी कीमत के आधार पर लोगों को रिटर्न देना होगा.