बीजेपी ने दिया सियालदाह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव, सुभाष चंद्र बोस के परपोते ने जताई आपत्ति
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस ने बीजेपी के सांसद समिक भट्टाचार्य के सियालदह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने के सुझाव की कड़ी आलोचना की है. बोस ने भाजपा सांसद की इस अपील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सांप्रदायिक राजनीति पश्चिम बंगाल के समावेशी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के विपरीत है.
बोस ने कहा कि मुखर्जी को शिक्षाविद के रूप में सम्मान दिया जाता है, लेकिन उन्हें बंगाल के विभाजक के रूप में भी जाना जाता है.
राजनीति और विचारधारा सांप्रदायिक
आगे उन्होंनें कहा, “श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक शिक्षाविद और विद्वान थे, लेकिन उनकी राजनीति और विचारधारा अत्यधिक सांप्रदायिक रही है. उन्हें बंगाल के विभाजन के लिए भी जाना जाता है. इसलिए, बंगाल में उन्हें केवल शिक्षाविद के रूप में सम्मान दिया जाता है, न कि समाज सुधारक या राजनेता के रूप में.” बोस ने जोर देकर कहा कि सियालदह स्टेशन का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखना बंगाल की समावेशी और धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के खिलाफ है. बता दें कि
रेल मंत्री से की अपील
बता दें चंद्र बोस भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इन्होंने यह बयान भाजपा सांसद भट्टाचार्य की उस अपील के जवाब में दिया, जिसमें उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की मदद के लिए मुखर्जी के प्रयासों के सम्मान में सियालदह स्टेशन का नाम बदलने का अनुरोध किया था.
तृणमूल कांग्रेस नेता ने दिया सुझाव
वही तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने सुझाव दिया कि अगर सियालदह स्टेशन का नाम बदला जाना है तो इसे स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा जाना चाहिए. घोष ने कहा, “जब स्वामी विवेकानंद 1893 में शिकागो के विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण देने के बाद अमेरिका से लौटे, तो वह सियालदह स्टेशन पर उतरे थे, जहां कोलकाता के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और उनके सम्मान में एक जुलूस निकाला था.”
इस प्रस्ताव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच बहस तेज हो गई है और स्टेशन के नाम बदलने पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.