ऋषभ पंत के जन्मदिन के मायने, भूल चूक लेनी देनी की शर्त के साथ ही और चमकेगा करियर

आज ऋषभ पंत का जन्मदिन है. कैलेंडर के हिसाब से वो 27 के हो गए. लेकिन उनके लिए शायद कैलेंडर वाले इस जन्मदिन से ज्यादा अहम इसी साल मार्च के महीने की 23 तारीख होगी. ये वो तारीख है जब जानलेवा एक्सीडेंट के बाद ऋषभ पंत ने मैदान में वापसी की थी. वो जिंदगी और मौत की लड़ाई जीतकर लौटे थे. वो बैसाखी को छोड़कर अपने पैरों पर वापस उछल-कूद करने लौटे थे. पुर्नजन्म अगर होता है तो वो क्रिकेट के मैदान में उनका पुर्नजन्म ही था. खैर, जन्मदिन है तो जन्मदिन के हवाले से ही बात करते हैं. अब ऋषभ पंत टेस्ट टीम में भी वापसी कर चुके हैं. 23 मार्च के बाद से लेकर अब तक ऋषभ पंत भारत के लिए टी20, वनडे और टेस्ट तीनों फॉर्मेट खेल चुके हैं.
मौजूदा भारतीय क्रिकेटर्स में ऋषभ पंत उन चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं जो भारत के लिए फिलहाल तीनों फॉर्मेट खेल रहे हैं. लेकिन अगले करीब 10 साल तक वो तीनों फॉर्मेट खेलते रहेंगे- ये कहना अभी बहुत मुश्किल है. ये तभी संभव है जब ऋषभ पंत इसी चेतावनी के साथ क्रिकेट खेलें कि भूल चूक लेनी देनी. यानी उनकी गलतियों को नजरअंदाज करना पड़ेगा. किसी भी खिलाड़ी का क्रिकेट करियर उसके प्रदर्शन के दम पर चलता है. इस प्रदर्शन पर नजर रखने की जिम्मेदारी टीम के कप्तान, कोच और बीसीसीआई की सेलेक्शन कमेटी की होती है. आज की तारीख में ऋषभ पंत को लेकर बुनियादी बात ये है कि आपको बीच-बीच में उनके प्रदर्शन को नजरअंदाज करना होगा. इसके पीछे की वजह बिल्कुल तार्किक है.
पंत गर्व के मौके देंगे लेकिन निराश भी करेंगे
कुल मिलाकर कहानी यही है. वैसे तो ये बात हर खिलाड़ी पर लागू होती है. किसी भी खेल का कोई भी खिलाड़ी हमेशा जीतेगा ही नहीं वो हारेगा भी. वो हर बार अपनी टीम को जिताएगा ही नहीं कभी वो हार की वजह भी बनेगा. वो जीत का हीरो बनेगा तो हार का जीरो भी. लेकिन ऋषभ पंत के साथ ये बात ज्यादा प्रतिशत में लागू होती है. इस बात को आगे उदाहरण से भी समझेंगे लेकिन पहले इस अंदाज पर चर्चा कर लेते हैं. दरअसल, ऋषभ पंत जिस पीढ़ी और जिस मिजाज के खिलाड़ी हैं उनकी सोच अलग है. उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने कौन सी टीम है, कौन सा गेंदबाज हैं, उस गेंदबाज का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में क्या कद या जिस पिच पर वो बल्लेबाजी कर रहे हैं उसका मिजाज क्या है वहां सीम, स्विंग या स्पिन की कहानी कैसी है.
ऋषभ पंत को अपना पता है. उन्हें ये पता है कि उन्हें क्या करना है. वो सामने वाले को अपना काम करने देते हैं और खुद अपना काम करते हैं. इसीलिए उनकी बल्लेबाजी को देखकर लगता है कि वो स्पिनर्स को गेंदबाज मानते ही नहीं हैं और कभी वो ऐसा शॉट खेलकर आउट हो जाते हैं जो बहुत ही गैरजिम्मेदार माना जाता है. ऋषभ पंत के शरीर पर गौर जरूर करिएगा. शॉट्स खेलते वक्त वो अपने शरीर को जिस-जिस कोण पर मोड़ देते हैं वो कई बार चौंकाने वाला होता है. इसीलिए आपने देखा होगा कि वो शॉट्स खेलते वक्त कई बार गिर भी जाते हैं. कुल मिलाकर पंत जैसी बल्लेबाजी पंत ही कर सकते हैं.
अब कुछ पारियों से समझिए कि पंत क्या हैं?
2021 में ब्रिसबेन का मैच पंत के करियर की बड़ी उपलब्धि है. चौथी पारी में भारत को जीत के लिए 328 रन चाहिए थे. शुभमन गिल ने अच्छी शुरूआत दिलाई थी. लेकिन 228 रन बनते बनते रोहित शर्मा, शुभमन गिल, अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा आउट हो चुके थे. यहां से मैच जिताने का काम पंत ने किया. उन्होंने नॉट आउट 89 रन बनाए. भारत वो मैच 3 विकेट से जीत गया. इसी दौरे में सिडनी में उन्होंने चौथी पारी में शानदार 97 रन बनाकर भारत की हार को टाला था. अगले साल केपटाउन टेस्ट में उन्होंने नॉट आउट शतक जड़ा. हालांकि भारत वो टेस्ट मैच हार गया था.
पंत की पारियों से जब भी जीत मिली वो जीत अविश्वसनीय लगती है. क्योंकि पंत की पारी से पहले वो मैच भारत की पकड़ में रहता ही नहीं था. पंत उसे अपने पाले में ले आते हैं. अब इससे उलट भी है. पंत के लापरवाही भरे शॉर्ट्स कई बार हर किसी को सिर पीटने पर मजबूर करते हैं. संजय मांजरेकर ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि ऐसे शॉट्स खेलने का प्रयास ऋषभ पंत जान बूझकर नहीं करते बल्कि वो शॉट्स खुद-ब-खुद पंत के पास आ जाते हैं. मसलन- टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में उन्होंने केशव महाराज की फुलटॉस गेंद को स्वीप करने की कोशिश में विकेट गंवाया था. न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में ओपनिंग करते समय भी उन्होंने बड़ा ही अजीब शॉट खेलकर विकेट गंवाया था.
ऐसे और भी कई मौके आपको याद आ जाएंगे. यहां तक कि कई बार तो क्रिकेट फैंस अपना संयम खो देते हैं. सोशल मीडिया के दौर में ऋषभ पंत को लेकर हैशटैग बन जाते हैं. लोग उन्हें ‘मास्टर ऑफ ऑपर्च्युनिटी’ कहने लगते हैं. उन्हें लेकर मजाक बनता है कि पंत शतक से चूक गए, सिर्फ 85 रन से. ऐसी कई पोस्ट आपको सोशल मीडिया में आसानी से मिल जाएगी. लेकिन उनके कद्रदान जानते हैं कि वो जिस मैच में आपको जीत दिलाएंगे वो असंभव सा ही मैच होगा. यानी पंत आपको निराश करेंगे और आपको उन्हें बर्दाश्त भी करना होगा. यही भूल चूक लेनी देनी की कहानी है.

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