अंग्रेजों ने 50 साल बाद दी विदेशी आईलैंड को आजादी, भारत इस डील से क्यों खुश?

करीब 50 साल बाद ब्रिटेन, चागोस द्वीप समूह को लौटाने जा रहा है. ब्रिटेश और मॉरिशस के बीच इस आईलैंड को लेकर दशकों से विवाद रहा है. दोनों देशों के बीच 2 साल में 13 दौर की बातचीत हुई जिसके बाद चागोस द्वीप समूह को लेकर ये अहम समझौता हुआ.
चागोस हिंद महासागर में 58 से अधिक द्वीपों का एक समूह है. जिसका स्वामित्व अब मॉरिशस के पास होगा. हालांकि इस समझौते के तहत एक द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा बरकरार रहेगा, जो कि दोनों ही देशों के लिए एक बेहद रणनीतिक क्षेत्र माना जाता है.
डिएगो गार्सिया द्वीप पर ब्रिटेन का कब्जा बरकरार
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा है कि उनकी सरकार ने इस समझौते के जरिए हिंद महासागर में इस रणनीतिक क्षेत्र का भविष्य सुरक्षित करने के साथ-साथ मॉरिशस के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाया है. दरअसल इस समझौते के तहत डिएगो गार्सिया द्वीप पर ब्रिटेन अपना कब्जा बरकरार रखेगा, जहां ब्रिटेन और अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा है. इस समझौते को लेकर ब्रिटेन को अमेरिका की भी सहमति मिल चुकी है.
1965 में ब्रिटेन ने ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का गठन किया था, चागोस द्वीप समूह भी इसका हिस्सा था. चागोस द्वीप समूह जो कि मॉरिशस का हिस्सा था उसे ब्रिटेन ने एक नई औपनिवेशिक कॉलोनी बसाने के लिए अलग कर दिया था. 1968 में ब्रिटेन ने मॉरिशस को आजाद कर दिया लेकिन चागोस द्वीप समूह पर अपना नियंत्रण बनाए रखा और अब करीब 50 साल बाद इस आईलैंड को आजादी मिलने जा रही है.
डील से भारत खुश क्यों है?
वहीं भारत सरकार ने भी चागोस द्वीप समूह को लेकर हुए इस समझौते का स्वागत किया है. भारत ने हमेशा इस मुद्दे पर मॉरिशस का समर्थन किया है और 2019 में UNGA में चागोस द्वीप समूह को लेकर मॉरिशस के पक्ष में मतदान किया था. हाल के वर्षों में, भारत ने हिंद महासागर में चीन की लगातार बढ़ती आक्रामकता के बीच मॉरिशस के साथ अपने संबंधों को गहरा करने की कोशिश की है. लिहाजा मॉरिशस को इस द्वीप समूह का स्वामित्व मिलने से भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी.
चागोस द्वीप समूह को जानिए
चागोस, हिंद महासागर में मालदीव के दक्षिण से करीब लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 58 द्वीपों वाला द्वीपसमूह है. 18वीं शताब्दी तक ये पूरी तरह से खाली था, यानी यहां कोई आबादी नहीं थी. बाद में फ्रांसीसी, अफ्रीका और भारत से मजदूरों को गुलाम बनाकर यहां लाए और नारियल के बागानों में काम करवाया. 1814 में फ्रांस ने इस क्षेत्र को ब्रिटेन को सौंप दिया था. बताया जाता है कि ब्रिटेन ने जब मॉरिशस का बंटवारा कर इस द्वीप समूह को अलग किया तब करीब दो हजार लोगों को बेदखल कर दिया गया था.

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