पिता IB मिनिस्ट्री में, दादा थे DM, दादी से इंस्पायर होकर एक्टर बने संजय मिश्रा

‘हर कहानी का हीरो शाहरुख खान नहीं होता. कभी-कभी आपकी तरह, मेरी तरह, एक आम इंसान भी होता, अपनी कहानी का हीरो.’ ये डायलॉग संजय मिश्रा का है, जो उन्होंने फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ में दिया था. ऐसे उनके और भी कई डायलॉग हैं, जो सीधे लोगों के दिलों को छू जाते हैं. वो पिछले 29 सालों से बॉलीवुड का हिस्सा हैं.
संजय मिश्रा ने अपना बॉलीवुड करियर साल 1995 में रिलीज हुई फिल्म ‘ओह डार्लिंग: ये है इंडिया’ से शुरू किया था. इस फिल्म में वो शाहरुख के साथ दिखे थे. इस फिल्म से पहले उन्होंने टीवी में काम भी काम किया था. वो 1991 में आए ‘चाणक्य’ नाम के शो में नजर आए थे. 6 अक्टूबर को संजय का 61वां बर्थडे है. इस मौके पर चलिए उनके बारे में कुछ ऐसी बातें जानते हैं, जो आप शायद ही पहले से जानते हों.
सरकारी नौकरी में थे दादा और पिता
संजय का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ था. हालांकि, वो पले-बढ़े वाराणसी में. उनके पिता सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (IB) में काम करते थे. वहीं उनके दादा डीएम थे. जहां उनके दादा और पिता सरकारी नौकरी में थे तो वहीं संजय को शुरू से एक्टिंग में दिलचस्पी थी. वो अपनी दादी से इंस्पायर होकर एक्टर बने.
संजय मिश्रा की दादी क्या करती थीं?
उनकी दादी पटना रेडियो में गााना गाया करती थीं. संजय अपनी स्कूल की छुट्टियां अपनी दादी के साथ ही गुजारते थे. दादी की सिंगिंग कला से संजय एक्टिंग के लिए इंस्पायर हो गए. उन्होंने खूब मेहनत की और दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एडमिशन में ले लिया. साल 1991 में वो यहां से ग्रेजुएट होकर निकले और फिर बस एक्टिंग के ही होकर रह गए.
आज शायद ही कोई ऐसा होगा, जो पर्दे पर संजय मिश्रा को पसंद न करता होगा. एक्टिंग में जहां उनका कोई तोड़ नहीं है, पढ़ाई में वो उतने ही कमजोर थे. वो 10वीं में दो बार फेल हुए थे. संजय मिश्रा के बारे में एक बात ये भी कही जाती है कि एनएसडी से निकलने के बाद जब सेट पर उनका पहला दिन था, वो ‘चाणक्य’ टीवी सीरियल के लिए अपना पहला शॉट दे रहे थे तो उन्होंने वो शॉट 20 टेक में पूरा किया था.

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