दिल्ली का ‘मिनी कोलकाता’, बंगाल जैसी दुर्गा पूजा, साल में एक बार दिखता है ऐसा नजारा!

Durga Puja Utsav: नवरात्रि का त्योहार चल रहा है. इसी बीच यानी षष्ठी तिथि पर दुर्गा पूजा का आयोजन भी किया जाता है. बता दें कि दुर्गा पूजा के दौरान षष्ठी से दशमी तक की तिथियों को महत्व दिया जाता है. दुर्गा पूजा का शानदार नजारा देखना चाहते हैं तो बंगाल जाइए. यहां गली-गली और कोने-कोने दुर्गा पूजा के पंडाल देखने को मिल जाएंगे. लेकिन बंगाल जैसा नजारा दिल्ली में देखना चाहते हैं, दिल्ली के चितरंजन पार्क चले जाएं.
चितरंजन पार्क को CR पार्क के नाम से भी जानते हैं. खास बात ये है कि दिल्ली का ‘मिनी कोलकाता’ भी कहा जाता है. यहां ज्यादातर बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं. बंगाल के खाने और कल्चर का आनंद लेना हो तो इस जगह पर जरूर घूमकर आएं. दुर्गा पूजा के दौरान ये जगह देखने लायक होती है. आइए जानते हैं कि इस बार चितरंजन पार्क की दुर्गा पूजा पिछले सालों की तरह कैसे अलग होगी.
इस बारे में हमने चितरंजन पार्क दुर्गा पूजा समिती से जुड़े लोगों से बात की. समिति के अध्यक्ष अमित रॉय बताते हैं कि चितरंजन पार्क में आपको बंगाल जैसा नजारा देखने को मिलेगा यहां. बिल्कुल पारंपरिक तरीके से पंडाल सजाए जाते हैं और उनमें मां दुर्गा की पूजा, आरती और कई तरह की कल्चरल एक्टिविटी करवाई जाती है.
लगते हैं 8 पंडाल
अमित रॉय आगे बताते हैं कि पूरे चितरंजन पार्क में दुर्गा पूजा के लिए 8 पंडाल सजाए जाते हैं. इस बार समिति को दुर्गा पूजा का आयोजन करवाते हुए 49 साल हो गए हैं.यहां का सबसे बड़ा पंडाल बी-ब्लॉक है. ये पंडाल बी ब्लॉक की ग्राउंड में लगता है. इस बार पंडाल की थीम को काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह बनाया गया है.

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वहीं, दुर्गा पूजा समिति की एंटरटेनमेंट कन्वीनर गोपा बासु बताती हैं कि इस पंडाल की सबसे खास बात ये है कि यहां से ही सबसे पहले रेप्लिका पंडाल बनाने की शुरुआत हुई थी.
कितनी बड़ी होगी प्रतिमा
गोपा बासु आगे बताती हैं कि पूरा पंडाल और देवी मां की मूर्ति ईको-फ्रेंडली हैं. यहां 7 अक्टूबर रात को देवी मां की मूर्ति स्थापित की जाएगी. पंडाल में देवी मां की 17 फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा यहां कई तरह की कल्चरल एक्टिविटीज भी होती हैं.
चितरंजन पार्क, दुर्गा पूजा पंडाल
कोलकाता हादसा
गोपा बताती हैं कि कोलकाता हादसे से पूरे देश में रोष है. इस बार पंडाल में उस घटना के बारे में बताया जाएगा. अपनी बात जारी रखते हुए गोपा बताती हैं कि हम शक्ति की पूजा करते हैं और ऐसा हादसा होना बेहद शर्मनाक है.
कब होती है विदाई
बता दें कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन किया जाता है. इसी दिन सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है. बता दे कि महाआरती के साथ इस दिन की शुरुआत होती है. आरती के बाद भक्तगण मां देवी को कोचुर, शाक, इलिश, पंता भात जैसे पकवानों का प्रसाद चढ़ाते हैं. इसके बाद इस प्रसाद को सभी में बांटा जाता है.

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