इजराइल मचा रहा तबाही, फिर क्यों नहीं लड़ रही लेबनान की सेना? अमेरिका-सऊदी है वजह

लेबनान में इजराइल बमबारी और ग्राउंड इन्वेजन की शुरुआत से ही ये सवाल उठ रहा था कि लेबनान की सेना कहां है, क्या वे लेबनान के बॉर्डर पर तैनात नहीं है, क्या इजराइल की सुरक्षा की जिम्मेदारी गैर सरकारी मिलिशिया हिजबुल्लाह की है? लेबनान सेना की दक्षिणी लेबनान में मौजूदगी पर अब देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने बड़ा बयान दिया है.
रविवार को स्काई न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने कहा कि लेबनानी सेना दक्षिण में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम लागू करने के लिए तैयार है, बशर्ते उसे जरूर सैन्य उपकरण दिए जाए.
नजीब मिकाती ने कहा, “दक्षिण में स्थिरता की नींव संयुक्त राष्ट्र के रिज़ॉल्यूशन 1701 को लागू करके ही रखी जा सकती है,” युद्ध विराम के लिए लेबनान की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि लेबनानी सेना दक्षिण में अतिरिक्त बलों को भेजने के लिए तैयार है, लेकिन उसके पास जरूर सैन्य हार्डवेयर की कमी है.
सेना के पास उपकरणों की कमी
साल 2006 के बाद लेबनान में पहली बार इजराइल ने जमीनी कार्रवाई शुरू की है, तो सब लोग पूछ रहे हैं कि लेबनान की सेना कहां है? सैद्धांतिक तौर पर ऐसी बाहरी घुसपैठ का मुकाबला करना देश की सेना की जिम्मेदारी होती है, लेकिन पूरे संघर्ष के दौरान लेबनान की सेना नदारद रही है. लेबनान की सेना को अमेरिका और सऊदी की मदद से हथियार मिलते हैं.
दरअसल, लेबनान में कोई स्थाई सरकार नहीं है और न ही राष्ट्रपति है. 2020 में बेरूत के एक फर्टिलाइजर वेयर हाउस में हुए विस्फोट के बाद से लेबनान की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई है, इस वक्त लेबनान आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है और इसका असर सेना पर भी दिख रहा है. लेबनान की सेना के पास ऐसे सैन्य उपकरण नहीं हैं, जिसके बलबूते वे इजराइली सेना से लोहा ले सके.
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लेबनान के पीएम सेना के लिए जरूरी मिलिट्री इक्विपमेंट की मांग कर रहे हैं.
लेबनान सेना को मदद सऊदी अरब और अमेरिका की ओर से की जाती है. इस मदद के पीछे सऊदी और अमेरिका के अपने हित रहे हैं. जानकार मानते हैं कि लेबनान में शिया मिलिशिया को ईरान जैसी इस्लामिक क्रांति से रोकने के लिए लेबनान की सेना को सऊदी और अमेरिका मदद करते आए हैं. लेकिन लेबनान की सेना इतनी मजबूत नहीं है कि वे इजराइली सेना से आमने सामने की लड़ाई कर सके.
विस्थापित लोगों की हो वापसी
मिकाती ने जोर देते हुए कहा, “हमारी प्राथमिकता स्थिरता और दक्षिण से विस्थापित लोगों की उनके घरों में वापसी है.” उन्होंने कहा, “हमने गोलीबारी शुरू करने का फैसला नहीं किया, लेकिन अगर युद्ध विराम पर सहमति बन जाती है, तो लेबनान पूरी तरह से इसका पालन करेगा, लेबनान की ओर से कोई गोली नहीं चलाई जाएगी.
इजराइल की बमबारी से लेबनानी नागरिकों का बुरा हाल
इजराइली बमबारी के बाद से ही लेबनान के करीब 15 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं और करीब 2 हजार लोगों के मरने की खबर है. विस्थापित हुए लोग 800 से ज्यादा शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर हैं.
दर्जनों इमारतें मलबे का ढेर बन चुकी है और ये सिलसिला पिछले दो हफ्तों से जारी है.

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