मु्स्लिम, दलित और ओबीसी… सबको रिझाने में जुटी शिंदे सरकार, ताबड़तोड़ कैबिनेट फैसलों से बिछाई बिसात
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद बीजेपी खेमा उत्साहित है. पार्टी ने अब महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में जीत की तैयारी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बड़े जातीय समीकरण को साधना चाह रही है. एकनाथ शिंदे सरकार यहां हिंदुत्व के साथ-साथ दलित, ओबीसी और पिछड़े मुस्लिमों को जोड़ने में जुट गई है. महायुति यहां ऐसी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, जिससे महाविकास अघाड़ी को कोई मौका मिल सके.
विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले एक महीने में 165 फैसले लिए हैं. इनमें मुस्लिम समाज के लिए भी कई अहम फैसले शामिल हैं. प्रदेश की महायुति सरकार ने मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल की निधि 700 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपए कर दिया है. वहीं मदरसों में डीईड टीचर्स को मानधन 6 हजार से बढ़ाकर 16 हजार रुपये किया गया है.
दलित, ओबीसी के लिए कैबिनेट के फैसले
मुस्लिम समुदाय के अलावा महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने दलित और पिछड़े वर्ग को भी लुभाने के लिए कई अहम फैसले किये हैं. फैसले के मुताबिक बीए बी एड बी SC और बी एड टीचर्स को मिलनेवाले मानधन में बढ़ोतरी करते हुए यह रकम 8 हज़ार से 18 हज़ार की गई है.
वहीं नॉन क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा गया है, इसके जरिये सरकार ओबीसी वोट को साधना चाहती है.
महामंडल बनाने के कैबिनेट के फैसले
लाड़ वाणी और वाणी समाज के लिए सोलह कुलस्वामिनी आर्थिक विकास महामंडल
लुहार समाज के लिए ब्रह्मलीन आचार्य दिव्यानंद पुरीजी महाराज आर्थिक विकास महामंडल
शिंपी (टेलर) समाज के लिए संत नामदेव महाराज आर्थिक विकास महामंडल
गवली (ग्वाला) समाज के लिए श्रीकृष्ण आर्थिक विकास महामंडल
नागपंथ समाज नाउ लिए आर्थिक विकास महामंडल बनाने का फैसला
इन सभी आर्थिक विकास महामंडल को 50 करोड़ रुपये बिक पूंजी दी जाएगी
कब कितने लिये गये फैसले?
23 सितंबर की कैबिनेट :- 22 फैसले
30 सितंबर की कैबिनेट :- 56 फैसले
4 अक्टूबर:- 47 फैसले
10 अक्टूबर:- 40 फैसले
कहां से आएंगे इतने पैसे?
अब अहम सवाल ये हो जाता है कि क्या ये फैसले केवल चुनावी हैं? क्योंकि कुल 2 लाख करोड़ का फ़िस्कल डेफ़िसिट होने के बावजूद और राज्य पर 8 लाख करोड़ का कर्ज होने के बाद आखिर सरकार कैसे और कहां से इन योजनाओं और महामंडलों के लिए पैसे लाएगी?