सर्वोदय हॉस्पिटल में 5 माह के बच्चे की हुई सफल कोकलियर इंप्लांट सर्जरी, इंडिया में मेडिकल साइंस का नया मुकाम

तीन दशक से ज्यादा समय से लोगों को गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सेवाएं और सहानुभूतिपूर्ण केयर प्रदान करते हुए सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने जन्म से ही कम सुनने के विकार से पीड़ित 5 महीने के शिशु में कोकलियर इंप्लांट सर्जरी करके चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इतनी छोटी उम्र में यह सर्जरी भारत में पहली बार हुई है. शिशु को जन्म से ही सुनने की समस्या थी. यह कोकलियर इंप्लांट डॉ. रवि भाटिया, डायरेक्टर – ईएनटी एवं कोकलियर इंप्लांट्स के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया गया. इस प्रक्रिया में मरीज के कान में एक छोटी की इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस स्थापित की जाती है. इस मामले ने स्पष्ट कर दिया कि अगर बच्चों में समस्याओं की जाँच और पहचान समय पर हो जाए, तो उन्हें सर्वश्रेष्ठ इलाज प्रदान कर उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है.
भारत में जन्म लेने वाले हर 1000 बच्चों में से 4 से 6 बच्चों को जन्म से ही कम सुनने का विकार होता है. इस स्थिति में बच्चे सुनने की कम क्षमता के साथ जन्म लेते हैं. यह दोष या तो गर्भ में पल रहे शिशु के ऑडिटरी सिस्टम के असामान्य विकास के कारण होता है या फिर उन्हें अपने माता-पिता से आनुवंशिक विकार के रूप में मिलता है. कई नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता की जाँच की ही नहीं जाती है, इसलिए इस दोष से पीड़ित शिशुओं की संख्या और ज्यादा होने का अनुमान है.
इस 4.5 महीने के शिशु को सर्वोदय हॉस्पिटल के सेंटर ऑफ ईएनटी एंड कोकलियर इंप्लांट में तब भर्ती कराया गया, जब उसके दादा-दादी ने ताली या कुकर की सीटी जैसी सामान्य आवाजों के प्रति शिशु की कम प्रतिक्रिया देखी. शिशु के पिता को भी जन्म से ही कम सुनने की समस्या थी, जिसके कारण परिवार शिशु के लिए फिक्रमंद हो गया. इससे पहले एक स्थानीय क्लिनिक में शिशु की जाँच की गई थी, जिसमें उसके दोनों कानों में सुनने की काफी कम क्षमता के बारे में पता चला.

सर्वोदय हॉस्पिटल में पहुंचने के बाद उसका विस्तृत ऑडियोलॉजिकल परीक्षण किया गया, जिसमें आधुनिक डायग्नोस्टिक टूल्स की मदद से टिंपैनोमीट्री (मिडिल ईयर के कार्य का परीक्षण), ऑटो-एकाउस्टिक एमिशन (इनर ईयर में सेल फंक्शन का परीक्षण), ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (ऑडिटरी नर्व और ऑडिटरी पाथवे के कार्य का परीक्षण), और आधुनिक इमेजिंग अध्ययन जैसे सीटी एवं एमआरआई किए गए, जिनमें उसके विकार की पुष्टि हो गई. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने कोकलियर इंप्लांट सर्जरी करने का निर्णय लिया. अब वह शिशु 10 महीने का हो चुका है और एक स्वस्थ एवं सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है.
इस विषय में डॉ. रवि भाटिया, डायरेक्टर – ईएनटी एवं कोकलियर इंप्लांट्स, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, सर्वोदय हॉस्पिटल में हमने 300 से ज्यादा कोकलियर इंप्लांट कर लिए है, जिससे अनेकों मरीजों की सुनने की क्षमता एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. इस मामले से सहानुभूतिपूर्ण केयर, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी, सुलभता, किफायत, मरीज की सुरक्षा और गुणवत्ता के साथ आधुनिक कोकलियर इंप्लांट सर्जरी करने की हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है. कोकलियर इंप्लांट किसी भी उम्र में किए जा सकते हैं, लेकिन सुनने की क्षमता का विकार जब से शुरू होता है.
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