स्वर्ग से कम नहीं है ये जगह! यहीं पर पांडवों ने काटे थे अज्ञातवास के दिन, कहां है ये?
महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने 12 साल का वनवास और उसके बाद एक साल का अज्ञातवास जंगलों में बिताया था. महाभारत के मुताबिक, पांडवों को वनवास और अज्ञातवास इसलिए जाना पड़ा था, क्योंकि कौरवों ने जुए के खेल में उन्हें धोखे से हरा दिया था. इस हार के बाद पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना पड़ा था. ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने साइलेंट वैली में अपना अज्ञातवास बिताया था.
साइलेंट वैली केरल के पलक्कड़ जिले की नीलगिरी पहाड़ियों का एक सुरक्षित वन क्षेत्र है. बेहद शांत होने की वजह से इस जगह को साइलेंट वैली के नाम से जाना जाता है. इस जगह प्रकृति के साथ ना के बराबर छेड़छाड़ की गई है. इसी कारण से यह जगह बेहद सुंदर और शांत बनी हुई है. इस वैली की खोज ब्रिटिश वनस्पति शास्त्री रॉबर्ट बाइट ने आजादी से पूरे 100 साल पहले यानी 1847 में की थी. स्थानीय लोगों का मानना है कि पांडवों ने अपना अज्ञातवास इसी जगह बिताया था.
238 किलोमीटर में फैली साइलेंट वैली
साइलेंट वैली नेशनल पार्क करीब 238 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल फैला हुआ है. इस बेहद मुलायम, उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन में कई प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं. वैली का एक हिस्सा नीलगिरी पठार पर फैला हुआ है तो, वहीं दूसरा हिस्सा मन्नारक्कड़ के मैदानी इलाकों में फैला हुआ है. यह स्थान बाकी जंगलों के मुकाबले काफी ठंडा रहता है. ऐसा माना जाता है कि नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व साइलेंट वैली की हृदय स्थली है.
स्वर्ग से कम नहीं
यह जगह छात्रों और वैज्ञानिकों के लिए किसे स्वर्ग से कम नहीं है. यहां पर 110 किस्म के ऑर्किड, 34 से अधिक प्रजाति के स्तनधारी, 400 किस्म के शलभ, 16 प्रजाति के पक्षियों, 200 किस्म की तितलियां 128 किस्म के भृंग और चिड़ियाओं की 150 प्रजातियां पाई जाती हैं. साइलेंट वैली विश्व धरोहर में शामिल है. वहीं, इस जगह हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.