बांग्लादेश में इस्कॉन विरोधी नेता का एक्सीडेंट, जान जाते-जाते बची
बांग्लादेश में दो दिन पहले हिंदू धर्मगुरु और इस्कॉन के महंत चिन्मय कृष्ण दास को ढाका से गिरफ्तार कर लिया गया और फिर मंगलवार को चटगांव की अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया. इसके बाद से ही बांग्लादेश में हालात और बिगड़े हुए हैं. इस्कॉन विरोधी भीड़ का नेतृत्व करने वाले सरजिश आलम और उनके सहयोगी हसनत अब्दुल्लाह चटगांव से लौटते समय सड़क दुर्घटना में बाल-बाल बच गए. उनकी कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, गनीमत रही कि दोनों को कोई चोट नहीं आई. पुलिस ने ट्रक को जब्त कर लिया है, और जांच शुरू कर दी है. हालांकि, इस घटना को लेकर कई विवादित दावे सामने आ रहे हैं. इस बीच, इस्कॉन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तेज हो गई है.
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वकील अल मामून रसेल ने बुधवार को इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और एडवोकेट सैफुल इस्लाम की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कानूनी नोटिस भेजा है. नोटिस में आरोप लगाया गया है कि इस्कॉन बांग्लादेश में सांप्रदायिक अशांति भड़काने, सनातन मंदिरों पर कब्जा करने, और हिंदू समुदाय पर अपने धार्मिक विचार थोपने जैसी गतिविधियों में लिप्त है.
नोटिस में लगाए गए ये आरोप
वकील द्वारा भेजे गए नोटिस में इस्कॉन संस्था पर बांग्लादेश में एडवोकेट सैफुल इस्लाम की हत्या के पीछे इस्कॉन समर्थकों का हाथ बताया गया है. नोटिस में दावा किया गया कि इस्कॉन की गतिविधियां बांग्लादेश के आतंकवाद विरोधी अधिनियम, 2009 के तहत आतंकी गतिविधियों की श्रेणी में आती हैं. इसके अलावा 2021 में चटगांव के प्रबर्तक संघ के कर्मचारियों पर हमला आरोप भी लगाया गया है. इस हमले में उस समय 12 लोग घायल हुए थे. नोटिस में सिलहट के एक इस्कॉन मंदिर में हथियार मिलने का दावा किया गया है.
इस्कॉन के खिलाफ हिंसा और बढ़ता दमन
इस्कॉन के खिलाफ हिंसा और दमन बांग्लादेश में लगातार बढ़ रहा है. चिन्मय कृष्ण दास, जो इस्कॉन के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, उनपर देशद्रोह का आरोप लगाकर कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा हिंसक भीड़ द्वारा इस्कॉन के मंदिरों और अनुयायियों पर हमले तेज हो गए हैं.
आईसीसी का दोहरा रवैया
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने बांग्लादेश का दौरा किया और रोहिंग्या मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार की तारीफ की है, लेकिन इस दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं और इस्कॉन के खिलाफ हो रही हिंसा पर चुप्पी ने आईसीसी के दोहरे रवैये को उजागर कर दिया है.जहां आईसीसी रूस और इज़रायल जैसे देशों पर सख्ती दिखाता है, वहीं बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर वह सवाल उठाने से बचता दिखाई दे रहा है.
भारत के पास क्या विकल्प हैं?
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और इस्कॉन के दमन को रोकने के लिए भारत को अपने प्रभाव का उपयोग कर सकता है, जिससे बांग्लादेश की कमर टूट सकती है. भारत बांग्लादेश को आवश्यक वस्तुओं (प्याज, अनाज, चीनी) का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है. इनकी आपूर्ति पर रोक लगाई जा सकती है. बांग्लादेश में इस्कॉन और हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और कानूनी कार्रवाई भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है.