वक्फ बिल पर बनी JPC का समय बढ़ा, विपक्ष का लोकसभा में जमकर हंगामा
लोकसभा ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2023 पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) के लिए विस्तार को मंजूरी दे दी, जिसके बाद बिल पर बजट सत्र 2025 के अंतिम दिन तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अनुमति मिल गई. समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता जगदंबिका पाल की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पारित किया गया. विपक्ष लोकसभा में संभल हिंसा और अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी से जुड़े आरोपों सहित मुद्दों पर सदन में हंगामा कर रहा था.
जेपीसी की बैठक के दौरान समिति के कई सदस्यों ने कार्यकाल बढ़ाने का सुझाव रखा था. उनका कहना था कि इस मामले में कई स्टेकहोल्डर से मुलाकात और बातचीत बाकी है. जेपीसी के समय बढ़ाने के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ जेपीसी का समय बढ़ाने की मांग विपक्ष ने की, लेकिन जब समय बढ़ाने का प्रस्ताव आया तब भी कांग्रेस ने हंगामा किया. उन्होंने कहा कि मैं इसकी निंदा करता हूं.
समिति को दिया गया था 29 नवंबर तक का समय
8 अगस्त को गठित समिति को शुरू में 29 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का काम सौंपा गया था, लेकिन वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों पर चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी तकरार देखने को मिली, जिसकी वजह से बहस पूरी नहीं हो पाई और सदस्यों ने अधिक समय मांगा. इस सप्ताह समिति के विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को एक बैठक के दौरान वॉकआउट कर दिया, जिसमें बीजेपी नेता जगदंबिका पाल पर समय से पहले यह घोषणा करने का आरोप लगाया गया कि मसौदा रिपोर्ट तैयार है.
विपक्षी नेताओं ने बीजेपी पर लगाए ये आरोप
विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि समिति का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के आश्वासन को नजरअंदाज किया गया. वॉकआउट के बाद बीजेपी नेता पाल और पार्टी सदस्यों ने विपक्ष से संपर्क किया और समिति की समयसीमा बढ़ाने की मांग पर सहमति जताई. पाल ने स्पष्ट किया कि मसौदा रिपोर्ट चर्चा के लिए तैयार है और स्टेकहोल्डर के साथ परामर्श पूरा हो चुका है. हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि प्रक्रिया में पर्याप्त विचार-विमर्श का अभाव है. वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है. उनका दावा है कि ये मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. हालांकि, बीजेपी का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है.