लंदन में क्यों बंद होने जा रहा एक हजार साल पुराना फिश और मीट मार्केट?

लंदन के दो प्रमुख फिश और मीट मार्केट आने वाले सालों में बंद होने जा रहे हैं. इसी के साथ 11वीं शताब्दी यानी मेडिवल समय की परंपराएं खत्म हो जाएंगी. जानकारी के मुताबिक यह दोनों बाज़ार शहर के केंद्र में 11वीं शताब्दी से किसी न किसी रूप में मौजूद हैं.
राजधानी की गवर्निंग बॉडी सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन ने बिलिंग्सगेट फिश और स्मिथफील्ड मीट मार्केट को संचालित करने की अपनी ज़िम्मेदारियों को खत्म करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने वाली है.
महंगाई के कारण रिलोकेट नहीं करेगा कॉर्पोरेशन
दरअसल पहले इस फिश और मीट मार्केट को लंदन के ठीक पूर्व में डेगनहम में एक नई जगह पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही थी लेकिन बाद में कॉरपोरेशन ने इन बाज़ारों को रिलोकेट नहीं करने का फैसला किया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉर्पोरेशन ने बढ़ते खर्च के कारण इसे स्थानांनतरित करने से पीछे हटने का फैसला लिया क्योंकि हाल ही में महंगाई बढ़ी है और निर्माण लागत में भी वृद्धि देखने को मिल रही है.
व्यापारियों को मुआवज़ा और सलाह दी जाएगी
अब कॉर्पोरेशन इन मार्केट को रिलोकेट करने के बजाय, बाज़ार के व्यापारियों के साथ एक नए समझौते के तहत, मुआवज़ा और सलाह मुहैया कराएगा. व्यापारियों के पास यह तय करने के लिए थोड़ा समय है कि उन्हें क्या करना है, क्योंकि फिलहाल इसका संचालन कम से कम 2028 तक जारी रहेगा.
सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के प्लानिंग हेड क्रिस हेवर्ड ने कहा कि, ‘यह फैसला स्मिथफील्ड और बिलिंग्सगेट मार्केट्स के लिए एक सकारात्मक अध्याय पेश करता है, क्योंकि यह व्यापारियों को ऐसे परिसर में भविष्य बनाने के लिए सशक्त बनाता है जो लंबे समय के व्यावसायिक लक्ष्यों के साथ जुड़े हों.’ उन्होंने कहा कि कॉरपोरेशन प्रत्यक्ष बाजार परिचालन से पीछे हटकर, इन व्यवसायों को स्वतंत्र रूप से फलने-फूलने के अवसर पैदा करने में मदद करेगा.
कॉरपोरेशन के फैसले के बाद अब व्यापारियों को तय करना है कि वह अब लंदन में किस जगह पर अपनी दुकानें स्थानांतरित करना चाहते हैं? साथ ही उन्हें यह भी फैसला करना है कि जिस जगह पर दुकानें ले जानी है वहां वह कैसे जाएंगे, अपने दम पर या ग्रुप के साथ.
स्मिथफील्ड में रातभर काम करते हैं व्यापारी
स्मिथफील्ड में बाजार के व्यापारी आमतौर पर रात 10 बजे काम शुरू करते हैं, मुख्य रूप से वह रेस्तरां चलाने वालों को मीट बेचते हैं, और लगभग सुबह 6 बजे समाप्त करते हैं, ठीक उसी समय जब शहर का बाकी हिस्सा जाग रहा होता है. बाजार के आसपास के पबों के पास पारंपरिक रूप से विशेष लाइसेंस थे जो उन्हें व्यापारियों की सेवा करने के लिए सुबह के शुरुआती घंटों में खोलने की अनुमति देते थे.
11वीं सदी से लंदन में हैं दोनों मार्केट
साल 2000 में ‘लंदन: एक आत्मकथा’ लिखने वाले पीटर एक्रोयड का कहना है कि बिलिंग्सगेट फिश मार्केट की जड़ें 11वीं सदी की शुरुआत से है. यह तब से है जब ‘विलियम द कॉन्करर’ अपने नॉर्मन सैनिकों के साथ सैक्सन काल को खत्म करने के लिए इंग्लैंड में आए थे.वहीं स्मिथफील्ड, जो पुरानी रोमन दीवार के ठीक बाहर बना था, उस सदी के अंत में घोड़ों, भेड़ों और मवेशियों की बिक्री के लिए जाना-माना स्थान बन गया.
बिलिंग्सगेट फिश मार्केट
एक्रोयड बताते हैं कि कैसे सैकड़ों सालों तक स्मिथफील्ड और बिलिंग्सगेट के साथ-साथ फूल, फल और सब्जियां और मुर्गी बेचने वाले दूसरे बाज़ार लंदन की ज़िंदगी के ताने-बाने में बुने हुए थे. महान ब्रिटिश लेखक चार्ल्स डिकेंस ने भी ‘ओलिवर ट्विस्ट’ और ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशंस’ दोनों ही किताबों में इन बाज़ारों का जिक्र किया है.
स्मिथफील्ड की इमारतें विक्टोरियन काल की हैं, जिनमें बाद में कुछ बदलाव किए गए थे और यह 1958 में एक बड़ी आग की चपेट में आ गई थी. वहीं बिलिंग्सगेट 1982 से लंदन डॉकलैंड्स में अपनी मौजूदा साइट पर है. एक ऐसी जगह जो पहले वीरान था, लेकिन अब कैनरी व्हार्फ फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट के चमचमाते टावरों से भरा है.
बिलिंग्सगेट साइट पर घर, स्मिथफील्ड में कल्चरल सेंटर
लेकिन एक सवाल उठता है कि अगर इन मार्केट्स को बंद कर दिया जाएगा तो क्या ये क्षेत्र फिर से वीरान हो जाएंगे? इसका जवाब है नहीं, दरअसल बिलिंग्सगेट साइट पर 4,000 नए घर बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, जबकि स्मिथफील्ड एक सांस्कृतिक केंद्र बनने वाला है, इसमें नया लंदन म्यूजियम भी होगा.

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