दिल्ली HC के चीफ जस्टिस मनमोहन बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के जज? कॉलेजियम ने की सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन के प्रमोशन की सिफारिश की है. जस्टिस दिल्ली हाईकोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं. कॉलेजियम ने इस पर विचार किया कि, मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में इस समय जजों के कुल 34 पदों में से 2 पद खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट की बेंच का प्रतिनिधित्व दिल्ली उच्च न्यायालय के केवल एक न्यायाधीश द्वारा किया जाता है. यही कारण है कि जस्टिस मनमोहन के नाम की सिफारिश की गई है. जस्टिस मनमोहन ऑल इंडिया सीनयॉरिटी लिस्ट में दूसरे नंबर पर आते हैं. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की पहली कॉलेजियम बैठक में यह फैसला लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एकमत से यह प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है. इस कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति हरिकेश रॉय और न्यायमूर्ति ए एस ओका शाामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस समय जजों के कुल 34 पदों में से 2 पद खाली हैं. इन्हीं दो पदों में से एक पद के लिए जस्टिस मनमोहन का नाम सुझाया गया है.
कौन हैं जस्टिस मनमोहन?
जस्टिस मनमोहन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रहने वाले हैं और उनका जन्म 17 दिसंबर 1962 को हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल से की है. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से इतिहास में बीए (ऑनर्स) से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से 1987 में एलएलबी की डिग्री हासिल की और उसी साल दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. जस्टिस मनमोहन जम्मू कश्मीर और दिल्ली के पूर्व राजयपाल जगमोहन मल्होत्रा ​​के बेटे हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2003 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था. उन्हें 13 मार्च, 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया था. जस्टिस मनमोहन 9 नवंबर, 2023 को दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस बने और 29 सितंबर, 2024 को चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए.
कॉलेजियम सिस्टम क्या है?
जजों की नियुक्ति से संबंधित कुछ मामलों की सुनवाई के बाद कॉलेजियम सिस्टम अस्तित्व में आया है. यह संविधान या संसद की ओर से लाए गए किसी विशेष कानून में वर्णित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पांच सदस्यों की एक बॉडी है. इसका नेतृत्व देश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) करते हैं. बाकी चार सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के चार अन्य मोस्ट सीनियर यानी वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. उसी तरह एक हाई कोर्ट के कॉलेजियम का नेतृत्व वर्तमान चीफ जस्टिस और उस अदालत के अन्य चार सीनियर जस्टिस करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट और राज्यों के हाई कोर्ट्स में जजों की नियुक्ति और उनका ट्रांसफर इसी सिस्टम के तहत होता है. हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के जरिये होती है. कॉलेजियम की ओर से नाम तय करने के बाद ही इसमें सरकार की भूमिका होती है. हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसा किए गए नाम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद सरकार तक पहुंचते हैं.
कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित नामों पर सरकार आपत्ति उठा सकती है और नामों पर स्पष्टीकरण मांग सकती है. लेकिन अगर कॉलेजियम फिर से उन्हीं नामों को दोहराए तो सरकार संविधान पीठ के फैसलों के तहत उन्हें जजों के रूप में नियुक्त करने के लिए बाध्य होती है.

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