महाराष्ट्र में मजबूत वापसी फिर BJP से हिस्सेदारी लेने में क्यों पिछड़ते नजर आ रहे अजित पवार?
महाराष्ट्र में महायुति की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अजित पवार सरकार में हिस्सेदारी लेने के मामले में पिछड़ते नजर आ रहे हैं. फॉर्मूले के तहत पहले उनके मंत्रियों के संख्या में कटौती की खबर सामने आई और अब विभाग बंटवारे में भी एनसीपी को हल्के मंत्रालय देने की बात कही जा रही है.
इतना ही नहीं, अजित पवार के वित्त विभाग पर भी बीजेपी की नजर है. एकनाथ शिंदे की सरकार में वित्त विभाग काफी सुर्खियों में रहा था. कहा जा रहा है कि अजित का वित्त इस बार बीजेपी अपने पास ही रखेगी.
41 सीटों पर एनसीपी को मिली जीत
अजित पवार जब चाचा शरद से बगावत कर एनडीए में आए, तब उनके पास कुल 40 विधायक थे. 2024 के विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर लड़कर अजित ने 41 पर जीत दर्ज की है. जीत के मामले में अजित का स्ट्राइक रेट करीब 70 फीसद है.
2024 के लोकसभा चुनाव में अजित की पार्टी को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव में अजित के इस मजबूत वापसी के बाद उनके कद बढ़ाए जाने की चर्चा थी, लेकिन विभाग बंटवारे और मंत्रियों की संख्या में उन्हें झटका लगता दिख रहा है.
अजित के मंत्रीपद में कटौती की चर्चा
एकनाथ शिंदे की सरकार में अजित पवार के 9 मंत्री थे. अब नई सरकार में तय फॉर्मूले के तहत अजित को सिर्फ 7 मंत्री पद मिलने की बात कही जा रही है. एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और बीजेपी को 21 मंत्री पद दिए जाने की खबर है. सांकेतिक भागीदारी के तहत छोटी पार्टियों को भी मंत्री पद देने की बात कही जा रही है.
पिछली सरकार में अजित के पास डिप्टी स्पीकर का भी पद था, लेकिन इस बार उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद मिले, इसकी गुंजाइश कम है. डिप्टी स्पीकर पद पर एकनाथ शिंदे की पार्टी दावेदारी कर रही है.
शिंदे की पार्टी सरकार में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं शिंदे पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे, जिस पर इस सरकार में उन्होंने दावेदारी छोड़ दी है.
टॉप-5 विभाग में से एक भी नहीं मिलेगा
महाराष्ट्र में गृह, वित्त, राजस्व, कार्मिक और लोक निर्माण विभाग की गिनती टॉप-5 विभागों में होती है. जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक बीजेपी गृह, वित्त और राजस्व जैसे अहम विभाग अपने पास रखेगी.
एकनाथ शिंदे की पार्टी को शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने का फैसला हुआ है.
अजित पवार की एनसीपी को कृषि, सिंचाई और खाद्य आपूर्ति जैसे विभाग देने पर सहमति बनी है. अजित को महाराष्ट्र के टॉप-5 में से एक भी विभाग नहीं दिए जा रहे हैं.
अजित से वित्त लिए जाने की क्या है वजह?
वित्त विभाग अभी महाराष्ट्र की सियासत का सबसे चर्चित विभाग है. महाराष्ट्र में लाडकी बहिन जैसे कई योजनाओं के लिए इसी विभाग से पैसे दिए जा रहे हैं. इस योजना को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक राज्य पर 7.82 लाख का कर्ज है.
ऐसी स्थिति में वित्त मंत्रालय अपने पास रखकर बीजेपी क्राइसिस मैनेजमेंट करना चाहती है. वहीं पिछली बार अजित पवार पर अपने विधायकों को ज्यादा फंड देने का आरोप लगा था. इसकी वजह से कई बार अजित की कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से बहस तक हो गई थी. बीजेपी इस बार ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनने देना चाहती है.
क्रेडिट भी एक अहम मामला है. बीजेपी सरकार के किसी भी बड़े काम का क्रेडिट नहीं चाहेगी कि उसके सहयोगियों ले उड़े. वहीं सीटों की संख्या भी एक अहम फैक्टर है. इस बार सभी पार्टियों की सीटों में बढ़ोतरी हुई है. ऐसी स्थिति में अजित के पास बीजेपी का फॉर्मूला न मानने का विकल्प नहीं है.
शाह की बैठक में अजित के 3 नेता मौजूद
गुरुवार को दिल्ली में अमित शाह के घर पर महायुति के नेताओं की करीब 3 घंटे तक मीटिंग चली. इस बैठक में एकनाथ शिंदे शिवसेना की तरफ से, देवेंद्र फडणवीस बीजेपी की तरफ से आए थे.
अजित पवार की पार्टी की तरफ से बैठक में 3 नेता मौजूद थे. पहला खुद अजित पवार, दूसरा प्रफुल्ल पटेल और तीसरा महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष सुनील तटकरे.
अब कहा जा रहा है कि अजित अपने कोटे के मंत्रियों के नाम फाइनल करेंगे. दिलचस्प बात है कि अजित पवार कोटे के सभी 9 मंत्रियों ने जीत हासिल कर ली है. ऐसे में इन 9 में से 7 का सिलेक्शन करना अजित के लिए आसान नहीं होने वाला है.