किरायेदारों पर पक्ष में सुप्रिम कोर्ट का बड़ा फैसला, नहीं चुका पाये किराया, तो भी…..
किराये के घरों में रहने वाले लोगों और अपना घर किराये पर देने वाले लोगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मामले के तहत एक बड़ा फैसला सुनाया गया है। दरअसल, ये फैसला किरायेदार के हित में आया है।
ग्रामाण और शहरी क्षेत्रों में काफी संख्या में लोग किराये के घरों में रहते हैं। महीना पूरा होते ही घर मालिक को घर का किराया देने का टेंशन शुरू हो जाता है। कई बार लोग कुछ मुश्किलों की वजह से किराया नहीं दे पाते। ऐसे में की बार घर मालिक नाराज होकर उन्हें घर खाली करने या अन्य चेतावनियां देते हैं। ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आय़ा था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति ने अपने किरायेदार के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। उनसे आरोप लगाया कि उसके किरायेदार ने समय पर किराया नहीं चुकाया। ये मामले थाने से लेकर इलाहबाद कोर्ट तक पहुंचा और जब वहां कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया, तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए घर मालिक की एफआईआर ही रद्द करा दी। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर कोई किरायेदार किराया नहीं चुकाता, तो उसे अपराधी नहीं माना जा सकता और उसके खिलाफ मामला नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि शिकायत में किये गये दावे सही हैं, लेकिन किराया ना चुकाना कोई अपराध नहीं है। ऐसे मामले में कोई कानूनी कार्यवाई भले ही हो सकती है, लेकिन IPC के तहत केस दर्ज नहीं हो सकता। इस केस को धारा 415 (धोखाधड़ी) और धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग) साबित करने वाली जरूरी बातें गायब हैं। साथ ही सुप्रिम कोर्ट ने मामले से जुड़ी एफआईआर को भी रद्द कर दिया।
ज्ञात हुआ है कि जिस घर मालिक ने अपने किरायेदार पर मामला दर्ज किया, उसके किरायेदार ने काफी महीनों से घर का किराया नहीं चुकाया था। हालांकि, किरायेदार ने अब घर खाली कर दिया है। अदालत अनुमति देता है कि दोनों पक्ष इस मामले को सिविल रिमेडीज़ के तहत सुलझा सकते हैं।
सुप्रिम कोर्ट द्वारा सुनाया गया ये फैसला किरायेदारों के काफी पक्ष में हैं। अगर कोई किरायेदार लंबे समय से किसी मुश्किल की वजह से किराया नहीं चुका पा रहा है, तो घर मालिक उससे आपसी सहमति से मामला सुलझा सकता है, लेकिन उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे अदालत तक नहीं घसीट सकता।
हालांकि, समय पर घर का किराया चुकाना हर जिम्मेदार नागरिक का फर्ज है और अगर कोई समस्या आये भी, तो उसे आराम से बैठ कर अपने घर मालिक से बात करनी चाहिये। आपसी सलाह मशवरे से ऐसे दुश्मनी भरे मामलों से बचा जा सकता है।