‘गुजरात सरकार को अधिकार ही नहीं था’, जानें बिलकिस बानो केस के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
आज सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से गुजरात सरकार को तगड़ा झटका लगा है. बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को दी गई छूट को आज सर्वोच्च अदालत ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट देने का कोई अधिकार नहीं था. कोर्ट का कहना था कि चूंकि इस मामले में ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 मई 2022 के जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार के लिए कहा था, वह दोषियों ने असली तथ्यों को दबाकर, भ्रामक तथ्य बनाकर हासिल किया गया था. जानिए और कोर्ट ने आज के फैसले के दौरान क्या कहा.
- जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि अपराधियों को सजा इसलिए दी जाती है, ताकि भविष्य में अपराध रुकें. जस्टिस का कहना था कि अपराधी को सुधरने का मौका दिया जा सकता है, लेकिन पीड़िता की तकलीफ का भी एहसास होना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने कानूनी लिहाज से मामले को परखा है और पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है. कोर्ट ने कहा कि इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर टिप्पणी नहीं कर रहे.
- सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था. दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी. इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका मानना है कि इन दोषियों को रिहाई से वंचित करना उचित है. कोर्ट ने कहा कि एक बार दोषी ठहराए जाने और जेल में डाल दिए जाने के बाद इन्होंने अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे. इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था. मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया. तब बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
कई सालों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी ठहराया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था. इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था.