राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से कारसेवकों में खुशी

हमीरपुर, 09 जनवरी (हि.स.)। संस्कृति सभ्यता, मर्यादा, मानवता, जननी और जन्मभूमि के प्रति अगाध समर्पण का आदर्श प्रस्तुत करने वाले प्रभु श्री राम का भव्य-दिव्य मन्दिर बनने के बाद उसकी प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है।

इस पावन दिन के लिए 1990 के आन्दोलन में प्राणों की परवाह किए बिना, कारसेवक के रुप में अयोध्या जाकर संघर्ष के बिल्कुल करीब खड़े होने का सार्थक परिणाम देखकर कस्बा सुमेरपुर के कारसेवक बेहद खुश हैं।

विदोखर गांव के निवासी मिथलेश कुमार द्विवेदी का कहना है कि युगों-युगों तक यह राम मंदिर देश दुनिया को मानवीय मूल्यों के प्रति सजग बनाने की प्रेरणा के साथ धार्मिक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता रहेगा। सुमेरपुर निवासी कारसेवक प्रदीप कुमार उर्फ रामकृपाल प्रजापति ने बताया कि 1990 में कस्बा सुमेरपुर से आधा दर्जन लोग विहिप के आह्वान पर अयोध्या गए थे। 10 दिन गांवों में रुक कर एन वक्त पर अयोध्या पहुंच गए थे, गोली काण्ड के बाद वापस लौट कर घर आए थे।

कारसेवक रामशरण सिंह देवगांव का कहना है कि उनके अयोध्या जाने के 33 वर्ष बाद जब राम मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हो रहा है तो उन्हें इस बात की खुशी है कि जिस कार्य के लिए उन्होंने प्राणों की परवाह किए बगैर ऐसे वक्त पर अयोध्या की यात्रा की थीं, जब ट्रेन छोड़ कर अन्य आवागमन ठप थे। जगह-जगह पुलिस का पहरा था। लोग अस्थाई जेलों में निरुद्ध किए जा रहे थे। ऐसे समय में राम काज के लिए वे लोग अयोध्या में उसी जुलूस में थे, जिसमें गोली काण्ड हुआ था। इतना संघर्ष करने के बाद जब वह शुभ दिन उनके सामने आया है, तो बड़ी प्रसन्नता हो रही है।

 

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