इंदिरा गांधी ने दी थी सैलरी क्लास को ये सौगात, क्या बजट में निर्मला बढ़ाएंगी बेनेफिट?
सैलरी क्लास को हर बार बजट से इनकम टैक्स में कटौती की बड़ी आस रहती है, और जब चुनावी साल हो तो उम्मीदें और बढ़ जाती हैं. सैलरी क्लास के लिए इनकम टैक्स में सबसे बड़ी राहत स्टैंडर्ड डिडक्शन होती है. इसमें आखिरी बार बदलाव 2019 के अंतरिम बजट में तब के वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने किया था. अब जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करने जा रही हैं, तब देखना होगा क्या वो सैलरी क्लास की इस राहत को और बढ़ाती हैं या नहीं?
स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा सैलरीड लोगों को मिलता है. मौजूदा समय में इसकी लिमिट 50,000 रुपए है और अब इसे न्यू टैक्स रिजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स के लिए भी मान्य कर दिया गया है. स्टैंडर्ड डिडक्शन को लोग अपनी टैक्सबेल इनकम में से बिना किसी प्रूफ के घटाकर क्लेम कर सकते हैं. यही वजह है कि न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपए तक की इनकम पर लगने वाला ‘जीरो टैक्स’ असल में 7.5 लाख रुपए तक की इनकम को टैक्स-फ्री बना देता है.
इंदिरा गांधी से कनेक्शन
स्टैंडर्ड डिडक्शन का कनेक्शन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी है. उनकी सरकार के कार्यकाल में 1974 के बजट में पहली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन को शुरू किया गया. शुरुआत में ये सैलरीड और पेंशनर्स के टैक्स बोझ को करने के लिए लाया गया था. लेकिन 2004-2005 इनकम टैक्स प्रोसेस को सरल बनाने के लिए इसे टैक्स सिस्टम से हटा दिया गया. हालांकि 2018 में सरकार ने इसे फिर से जगह दी.
साल 2018 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40,000 रुपए रखी गई. साल 2019 के बजट में इसे बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया, जबकि 2023 के बजट में इसका फायदा ‘न्यू टैक्स रिजीम’ में भी दे दिया गया.
क्या बढ़ना चाहिए मानक कटौती?
इनकम टैक्स में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मानक कटौती भी कहा जाता है. महंगाई से लेकर सैलरीड और बिजनेस करने वाले लोगों के बीच समानता लाने के लिए इसकी रकम बढ़ाए जाने की मांग चल रही है. इसे 50,000 रुपए से बढ़ाकर 70,000 से एक लाख रुपए तक करने की मांग उठ रही है. अब देखना ये है कि क्या चुनावी साल में निर्मला सीतारमण आम लोगों के लिए ये राहत बढ़ाती हैं या नहीं?