बांदा का लाल अभिषेक प्रभु श्रीराम मन्दिर के निर्माण में कर रहा कारसेवा

बांदा, 10 जनवरी (हि.स.)। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को जब वनवास मिला तब वह अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ बांदा (अब चित्रकूट) आए थे। इसी धरती पर वनवास के साढ़े 11 साल बिताए थे।

उनके जीवन चरित्र को ‘रामायण’ में अक्षरशः प्रस्तुत करने वाले महर्षि वाल्मीकि और ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से आमबोलचाल की भाषा में लिपिबद्ध करने वाले गोस्वामी तुलसीदास भी इसी धरती में पैदा हुए थे।

श्रीराम का त्रेता में भी बांदा और चित्रकूट से गहरा नाता था। ठीक उसी तरह से उनकी जन्मस्थली अयोध्या से वर्तमान में बांदा का रिश्ता बना रहा। जब विवादित ढांचा को ढहाया गया, तब भी बांदा के सैकड़ों कारसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आज जब अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर तैयार हो रहा है, तब भी इस मंदिर के निर्माण में बांदा जुड़ा हुआ है। यहां केसीएनआईटी से इंजीनियरिंग कर चुके अभिषेक निगम इस समय लार्सेन एंड टूब्रो कम्पनी, जो श्रीराम मन्दिर का निर्माण कर रही है, के आईटी और एचआर मैनेजर के रूप में राम मंदिर का हिस्सा बन गए हैं।

 

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