National Road Safety Week 2024: रोड एक्सीडेंट में तुरंत दें First Aid, सबसे पहले इन हिस्सों का करें उपचार
भारत में सड़क दुर्घटनों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। बात सिर्फ रोड रूल्स फॉलो करने की ही नहीं है बल्कि, लोगों के अंदर सड़क दुर्घटनों के बाद प्राथमिक उपचार लेकर जानकारी न रखने की भी है। आज हम बात सिर्फ सड़क दुर्घटना में फर्स्ट एड की करेंगे और जानेंगे कि कैसे थोड़ी तैयारी और हमारी सतर्कता किसी की जान बचा सकती है। इस दौरान हम जानेंगे कि हमारी गाड़ियों में क्यों फर्स्ट एड बॉक्स जरूरी है और इसके बाद फिर जानेंगे कि इनमें क्या होना चाहिए और सड़क दुर्घटना में फर्स्ट एड क्या दें।
अपनी गाड़ियों में रखें First aid box
हम सभी को अपनी गाड़ियों में फर्स्ट एड बॉक्स जरूर रखना चाहिए और उनमें हम इन चीजों को शामिल कर सकते हैं। जैसे कि
-विभिन्न आकारों में बैंडेज
-कैंची
-कोई भी डिसइंफेक्टेंट
-ड्रेसिंग
-कम से कम 2 आंख की पट्टियां
-क्रेप रोल्ड पट्टिया
-डिस्पोजेबल ग्लव्स
-सेफ्टी पिन
-कपड़े, रस्सी, सीटबेल्ट और बहुत कुछ।
सड़क दुर्घटना में प्राथमिक उपचार कैसे दें?
-सबसे पहले ब्लीडिंग वाले हिस्से को चेक करें और खून आने को बंद करें। पट्टी या कपड़े के मोटे पैड से घाव पर सीधा दबाव डालकर ब्लीडिंग रोकें।
-इसी बीच अस्पताल को कॉल करें।
– चोट को रोकने के लिए पीड़ित को बहुत धीरे से और सावधानी से जमीन पर लिटाएं।
-पीड़ित को एक तरफ कर दें।
-ब्लीडिंग को रोकने के लिए ब्लीडिंग वाले अंगों को ऊंचा करके रखें।
-घाव के चारों ओर पैड लगाएं और पट्टी बांधें। अगर टूटी हुई हड्डियां दिखाई दें तो भी ऐसा ही करें।
-गर्दन, छाती और कमर पर कपड़े ढीले कर दें।
-सिर को पीछे झुकाएं, चेहरे को थोड़ा नीचे की ओर झुकाएं ताकि जीभ आगे की ओर गिर सके जिससे खून और उल्टी बाहर निकल सके। अपनी उंगलियों को गले से दूर रखें।
-मुंह से गंदगी, खून, उल्टी या टूटे दांत हटा दें।
-अगर पीड़ित सांस नहीं ले पा रहा है तो उसे अपने मुंह से सांस देने की कोशिश करें।
– अगर पीड़ित की धड़कन सुनाई नहीं दे रही है तो उसे CPR देने की कोशिश करें।
-जब तक सांस लेना बहाल न हो जाए तब तक मुंह से हवा देने जारी रखें। वयस्कों के साथ हर चार सेकंड में और बच्चों के साथ हर तीन सेकंड में फूंक मारें।
तो, इस तरह सड़क दुर्घटनाओं में आप किसी को भी ये सिंपल से फर्स्ट एड देकर उसकी जान बचा सकते हैं। ध्यान रखें कि पीड़ित को देखकर परेशान होने की जगह अपनी बुद्धी का इस्तेमाल करें, फटाफट अस्पताल को कॉल करें और झट से प्राथमिक उपचार शुरू करें।