टूरिस्ट महिला का जब भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन पर आया दिल, 1 लाख करोड़ की बन बैठीं मालकिन, कहलाती हैं रतन टाटा की…
रतन टाटा किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, लेकिन बहुत कम लोग हैं जो उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानते होंगे. हम बात करने जा रहे हैं रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा के बारे में बात कर रहे हैं. सिमोन आज टाटा कंपनी के अंडर सबसे नई सब्सिडियरी ट्रेंट कंपनी की मालकिन हैं, जो हाल ही में एक लाख करोड़ की क्लब में शीमिल हुई है. यह एक भारत की खुदरा मार्केट कंपनी है. यह भारत में स्टसाइड, लैंडमार्क और अन्य ब्रांडों को हैंडल करती है.
शायद ही किसी को मालूम होगा कि सिमोन जेनावा की रहने वाली हैं. 50 की दशक में वह भारत टूरिस्ट के रूप में घूमने आईं थीं. तभी उनकी मुलाकात सर रतन जी टाटा के दत्तक पुत्र (गोद लिया हुआ पुत्र) नवान होर्मूसजी टाटा से हुई. नवान, रतन टाटा के पिता थें. सिमोन जब भारत घूमने आईं थी तो उनका उम्र महज 23 साल का था. कुछ साल एक साथ बिताने के बाद, दोनों कपल ने साल 1955 में शादी कर ली और सिमोन परमानेंट भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में रहने लगीं. कपल के 1957 में रतन टाटा के सौतेले भाई, नोएल टाटा को जन्म दिया.
1989 में टाटा इंडस्ट्रीज की बोर्ड मेंबर
नोएल को जन्म देने के कुछ साल बाद, सिमोन टाटा 1962 में टाटा ऑयल मिल्स, लैक्मे की एक छोटी सहायक कंपनी में शामिल हो गईं और 20 वर्षों तक कंपनी की सेवा करने के बाद वह चेयरपर्सन के पद तक पहुंचीं. लैक्मे की सफलता के बाद, सिमोन को 1989 में टाटा इंडस्ट्रीज के बोर्ड में नियुक्त किया गया.
लैक्मे को बेच बनी ट्रेंट की मालकिन
सिमोन ने बिजनेस में कमाल का परचम लहराया. 8 साल के बाद इसे एक बहुत बड़ा कॉस्मेटिक ब्रांड बनाने के बाद, टाटा ने 1996 में लैक्मे को हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड (HLL) को बेच दिया. इसके बेचे जाने के से प्राप्त धन से ट्रेंट कंपनी बनाया.
खुदरा कंपनियों का बादशाह है ट्रेंट
जो लोग भी इससे अनजान हैं, उनके लिए ट्रेंट लिमिटेड खुदरा फैशन श्रृंखला वेस्टसाइड और एक किताबों की दुकान, लैंडमार्क संचालित करता है. लैक्मे की बिक्री के बाद शेयरधारकों को ट्रेंट में बराबर शेयर दिए गए. सिमोन टाटा ने 30 अक्टूबर 2006 तक ट्रेंट लिमिटेड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.