पन्नू मामला: क्या निखिल गुप्ता का प्रत्यर्पण होकर रहेगा? भारत-अमेरिका के रिश्ते पर पड़ेगा असर!
यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक की एक अदालत ने निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. निखिल गुप्ता की उम्र 52 बरस है और उन पर आरोप है कि वे अमेरिका में रहने वाले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के असफल साजिश में शामिल थे. आरोप ये भी हैं कि निखिल ने भारत के एक अधिकारी की मदद की जिसने पन्नू की हत्या की कथित साजिश को रचा था.
निखिल गुप्ता भारतीय नागरिक हैं. अमेरिका के कहने पर पिछले साल चेक रिपब्लिक में निखिल की गिरफ्तारी हुई थी. निखिल पर जो आरोप है, वह अगर सच साबित हुआ तो अधिकतम 10 बरस की सजा निखिल को हो सकती है. जानकारी के मुताबिक गुप्ता का बचाव करते हुए ये दलील न्यायालय में दी गई की अमेरिका ने जिसका प्रत्यर्पण चाहता है, वह निखिल गुप्ता नहीं है और यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.
अब आगे क्या, प्रत्यर्पण होकर रहेगा?
प्रत्यर्पण का फैसला तो वैसे पिछले साल के दिसंबर महीने में ही आ गया था. बावजूद इसके प्रत्यर्पण रुकी रही. क्योंकि निखिल गुप्ता ने उसको राजधानी प्राग के हाईकोर्ट में चुनौती दिया हुआ था. दिसंबर का फैसला निचली अदालत का था. अब चूंकि ऊपरी अदालत ने भी फैसले पर हामी भर दी है. हां, निखिल के लिए एक राहत की औऱ बात है, वो ये कि अभी इस प्रत्यर्पण पर एक फैसला देश के जस्टिस मिनिस्टर पावेल ब्लेज़ेक लेंगे. अगर उनका मन कहीं कोर्ट के फैसले से इतर रहा तो निखिल का प्रत्यर्पण रुक सकता है.
निखिल गुप्ता पर क्या है पूरा आरोप?
पिछले साल 20 नवंबर को अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने निखिल गुप्ता पर कथित हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था. भारत सरकार ने अपनी भूमिका से साफ तौर पर इनकार किया था और इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए विस्तृत जांच का आदेश दे दिया था.
अमेरिकी अधिकारियों ने यहां तक आरोप लगाया है कि निखिल गुप्ता ने आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए एक ‘सुपारी कीलर’ को 100,000 डॉलर देने का वादा किया था. आरोप है कि 15,000 डॉलर का एडवांस पेमेंट भी हो गया था. मगर हुआ ये कि कथित तौर पर निखिल ने जिसको भाड़े पर गुरपतवंत की हत्या की सुपारी दी थी, वह अमेरिकी सरकार के लिए काम करने वाला एक खुफिया निकला. अब भारत और अमेरिका दोनों इस मामले की जांच कर रहे हैं.