Ram Mandir Opening: जमीयत हिमायतुल इस्लाम के अध्यक्ष को मिला प्राण प्रतिष्ठा का न्योता, कहा- ‘मस्जिद भी धार्मिक…’

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसको लेकर पूरे देशभर में उत्सव का माहौल है. कई अतिथि को राम मंदिर उद्घाटन समारोह में आने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की तरह से न्योता भेजा जा रहा है, तो कई लोगों को भेजा जा चुका है. अब राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से जमीयत हिमायतुल इस्लाम के अध्यक्ष और स्कॉलर कारी अबरार जमाल को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिला है. राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कारी अबरार को कार्यक्रम का शामिल होने के लिए बुलावा मिला है. जिसपर कारी अबरार जमाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

न्योता मिलने के बाद कारी अबरार जमाल ने कहा कि मुझे ट्रस्ट की तरफ से कॉल आया. कारी जमाल ने बताया कि ट्रस्ट की तरफ से कहा गया कि हमने आपको कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा है और हार्ड कॉपी भी स्पीड पोस्ट किए हैं, जो आज यानी 21 जनवरी की शाम तक आपके पास आ जाएगी. निमंत्रण मिलने के बाद कारी अबरार जमाल ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं. उन्होंने आगे कहा कि मैं अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जरूर जाऊंगा, जहां तक मुझे पता है मुस्लिम लोगों में चार से 6 लोगों को ही निमंत्रण मिला है. जिन-जिन लोगों को निमंत्रण मिला है उन सभी की अपनी-अपनी अलग राय है. वह जाएंगे या नहीं जाएंगे लेकिन मुझे निमंत्रण मिला है मैं जरूर जाऊंगा. अयोध्या एक धार्मिक जगह है इसी तरह मस्जिद भी धार्मिक जगह है. अगर साधु संत मस्जिदों में आ सकते हैं तो मुस्लिम अयोध्या क्यों नहीं जा सकता.

न्योता मिलने पर क्या बोले कारी अबरार जमाल? 

कारी अबरार जमाल ने कहा कि देश में अमन और शांति कायम रखने के लिए एक दूसरे के बुलावे पर जरूर जाना चाहिए. क्योंकि जिस तरह का माहौल है, राम मंदिर जो बन रहा है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बन रहा है, लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो इसको गलत ठहरा रहे हैं. यह वही लोग हैं जो कहते हैं मुसलमान कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखता है, जब तमाम मुसलमान कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखता है तो परेशानी की क्या बात है पर फिर भी परेशानी होती है तो फिर ये अच्छी बात नहीं है. किसी मुसलमान के साथ इंसाफ किया जाता है तो फिर यह कहते हैं कोर्ट ने इंसाफ किया है फिर जो सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के निर्माण का फैसला सुनाया हैं तो फिर कहते हैं कि हमारे साथ नाइंसाफी हुई है, लेकिन मुसलमान तो बुरा नहीं हो सकता. एक मोमिन की तो दो जुबान नहीं हो सकती.

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