राजा जनक ने सीता जी के स्वयंवर के लिए शिव धनुष की शर्त ही क्यों रखी?
रामायण में कई रोचक प्रसंग हैं, इनमें से एक राम और सीता के विवाह का प्रसंग. रामलीला में इस प्रसंग को बड़ी खूबसूरती से निभाया जाता है. इस प्रसंग के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं कि राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंवर रखा था, जिसे जीतने वाले प्रतापी राजा से ही सीता जी का विवाह होता.
इसके लिए भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ानी थी. लेकिन यह धनुष इतना भारी था कि इसे उठाना ही बहुत मुश्किल था, इस पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो बहुत दूर की बात थी. बड़े-बड़े बलशाली राजाओं से भी यह धनुष नहीं उठा था.
शिव धनुष की ही शर्त क्यों?
देवी सीता के गुणों और सौंदर्य से प्रभावित होकर सभी राजा उनसे विवाह करना चाहते थे. ऐसे में सीता जी के लिए योग्य वर का चुनाव करना पिता राजा जनक के लिए बहुत मुश्किल था. तब उन्होंने स्वयंवर रखा और उसमें शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी.
आखिर क्यों रखी थी राजा जनक ने ऐसी शर्त
एक धार्मिक कथा के अनुसार, बाल्यावस्था के दौरान देवी सीता अपने महल में बने पूजाघर की सफाई कर रहीं थी. पूजा स्थल पर ही शिवजी का धनुष भी रखा हुआ था. सफाई के दौरान देवी सीता ने 1 हाथ में धनुष उठा लिया और दूसरे से सफाई करती रहीं. उसी समय राजा दशरथ वहां आ गए.
एक बार सीता जी ने पूजा स्थल की सफाई करते हुए इस भारी धनुष को एक हाथ से उठा लिया था. इसे देखकर राजा जनक दंग रह गए थे. उन्होंने तभी तय कर लिया था कि जो भी वीर पुरुष इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता का वर होगा.