बुलेटप्रूफ जैकेट में बाहुबली अखंड प्रताप की पेशी, कहानी मुख्तार के दुश्मन गैंगस्टर की
आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी में मुख्तार अंसारी गैंग से टकराने वाले और उसे चुनौती देने वाले लोग कम ही हैं. वो भी तब जब मुख्तार के एक हाथ में सत्ता और दूसरे में बाहुबल हुआ करता था. उस दौर में आजमगढ़ के एक शख्स ने जाने-अनजाने मुख्तार के खिलाफ अपने वर्चस्व को इतना बढ़ाया कि एक दिन अंसारी के खौफ को खत्म करने में जुट गया. आजमगढ़ का बाहुबली अखंड प्रताप सिर्फ गैंगस्टर नहीं बल्कि दुर्दांत शूटर भी है.
जातिवाद सिर्फ राजनीति में नहीं बल्कि समाज की बुनियाद में भी गहराई तक समाई हुई है. यूं कह सकते हैं कि सामाजिक जातिवाद को सीढ़ी बनाकर कई लोग राजनीति की दहलीज़ तक पहुंचते हैं. राजनीति हो या अपराध की दुनिया दोनों जगह जातिवाद का संदेश और शोर साफ जाहिर होता है. अखंड प्रताप सिंह भी उसी जातिवादी रंजिश के खूनी साए में रहकर गैंगस्टर बना.
अखंड के नरसंहार से हिल गया था आजमगढ़
आजमगढ़ जिले का तरवां ब्लॉक तब पिछड़े इलाकों में गिना जाता था. यहां सवर्ण, OBC, SC-ST समेत कई जाति के लोगों के गांव बसे हैं. अखंड प्रताप सिंह तरवां ब्लॉक के जमुआं गांव का है. उस दौर में गांव में पासवान (स्थानीय भाषा में पासी) बिरादरी का तरवां ब्लॉक में दबदबा था. उस दौर के कुछ दबंग किस्म के पासी लोग समाज में अलग-अलग जगहों पर काबिज थे.
अखंड प्रताप नई उमर का लड़का था. पड़ोस में रहने वाले पासवान समाज के लोगों से अखंड के परिवार के लोगों का विवाद हो गया. अखंड प्रताप ने परिवार वालों के साथ मिलकर पासी बिरादरी के चार पड़ोसियों की हत्या कर दी. इस नरसंहार ने आजमगढ़ समेत पूरे पूर्वांचल को हिलाकर रख दिया. ये वो घटना थी, जिसके बाद अखंड प्रताप सिंह हत्यारोपी से गैंगस्टर और दबंग से बाहुबली बनता चला गया.
छोटे से विवाद पर सरेआम 4 हत्याएं की
साल 1995 का दिसंबर का महीना था. अखंड प्रताप 20-22 साल का रहा होगा. घटना के बारे में जानने वाले स्थानीय लोगों के मुताबिक दिन का वक्त था. अखंड के चाचा अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का देखने जा रहे थे. उस हत्याकांड के बारे में जानने वालों का दावा है कि रास्ते में पासी बिरादरी के लोगों ने अखंड के चाचा पर छीटाकशी की. लड़की की शादी अपने यहां करवाने की बात कहकर मजाक उड़ाया.
बात बहुत बढ़ गई. अखंड के चाचा के साथ गाली-गलौच तक हुई . कुछ देर बाद वो परिवार के सदस्यों को लेकर पासी बिरादरी के लोगों के घर के बाहर पहुंचे. यहां विवाद के बीच अखंड प्रताप और उसके परिवार वालों ने छीटाकशी करने वाले चार लोगों की हत्या कर दी. इस घटना के बाद अखंड प्रताप सिंह एक ऐसे रास्ते पर निकल पड़ा, जहां हर बार कदम बढ़ने पर वापसी के सारे रास्ते बंद होते चले जाते हैं. अखंड प्रताप सिंह उस नरसंहार के बाद गैंगस्टर और बाहुबली बन गया.
मुख्तार को चुनौती और बीच बाजार 3 गवाहों की हत्या
जिस समय अखंड ने हत्याकांड को अंजाम दिया, उस दौर में आजमगढ़ का कुख्यात अपराधी कुंटू सिंह बड़ा गैंगस्टर था. वो मुख्तार अंसारी का कट्टर दुश्मन था. ठेकों और जमीनों पर कब्जे की लड़ाई की वजह से दोनों के बीच लंबी रंजिश थी. अखंड प्रताप सिंह को कुंटू सिंह के गैंग में शरण मिली. यहां अखंड ने अपराध की दुनिया के नए अध्याय शुरू किए. कुंटू सिंह, मुन्ना सिंह और रमेश सिंह का गैंग पूर्वांचल में बड़े अपराध को अंजाम देने लगा.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अखंड प्रताप सिंह ने बाद के सालों में कई लोगों की हत्या की. अपराध की दुनिया में उसका दबदबा और समाज की नजरों में उसका खौफ बढ़ता चला गया. अखंड प्रताप सिंह गैंग में सक्रिय भूमिका निभाने लगा. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक कुंटू सिंह के साथ मिलकर अखंड सिंह ने एक तिहरे हत्याकांड को भी अंजाम दिया था. मऊ जिले के जीएनपुर बाजार में तीन गवाहों की हत्या हुई थी. मारे गए लोग कुंटू गैंग के खिलाफ एक मामले में गवाह थे. भरे बाजार हुए इस हत्याकांड के बाद अखंड प्रताप सिंह की गिनती दुर्दांत शूटर्स में होने लगी.
ब्लॉक से विधानसभा चुनाव तक अखंड के बाहुबल का ‘प्रताप’!
अपराध की दुनिया में स्थापित होने के बाद अखंड प्रताप सिंह ने तरवां ब्लॉक पर कब्ज़े के लिए पंचायत की सियासत में किस्मत आजमाई. 2005 में वो पहली बार ब्लॉक प्रमुख बना. दबंगई और पैसे की कोई कमी नहीं थी, जिसकी वजह से वो लगातार सोलह साल तक या तो खुद उस सीट पर काबिज रहा या उसके लोग ब्लॉक प्रमुख बनते रहे. स्थानीय लोग बताते हैं कि आज़मगढ़ के तरवां ब्लॉक की राजनीति पर अखंड के बाहुबल का ‘प्रताप’ अब भी है.
2012 में BSP के टिकट पर आजमगढ़ की सवर्ण बहुल विधानसभा सीट अतरौलिया से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गया था. उसके पास करीब 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति है. योगी सरकार में पुलिस ने उसकी ज्यादातर संपत्ति कुर्क कर ली है. आजमगढ़, मऊ और वाराणसी में उसने शराब के ठेके, कई फ्लैट और विवादित जमीनों पर कब्जा कर रखा है. कुंटू सिंह और अखंड प्रताप का गैंग अब भी पूर्वांचल के चार जिले आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी के कुछ इलाकों में सक्रिय बताया जाता है.
बसपा विधायक सीपू सिंह की हत्या से खौफ फैलाया
18 जुलाई 2013 कुंटू सिंह और अखंड प्रताप सिंह के गैंग ने मिलकर एक बड़ा कांड कर दिया. बसपा के पूर्व विधायक सीपू सिंह जो कभी कुंटू और अखंड के क़रीबी थे. सीपू का कुंटू और अखंड से सामाजिक और सियासी वर्चस्व को लेकर टकराव होने लगा. बताते हैं कि सीपू सिंह ने कई बार कुंटू की हत्या के लिए शूटर भेजे. अखंड और कुंटू को लगा कि सीपू सिंह विधायक रहे हैं, लिहाज़ा उससे निपटना आसान नहीं होगा.
आखिरकार 18 जुलाई 2013 को कुंटू और अखंड प्रताप सिंह ने बसपा विधायक सीपू सिंह की सरेराह हत्या कर दी. उस दिन सीपू सिंह किसी विवाद में सुलह के लिए थाने गए थे. वापसी में कूंटू और अखंड प्रताप ने अपने गैंग के साथ मिलकर सीपू सिंह को घेर लिया और मऊ में उनके घर के पास ही हत्या कर दी. इस घटना ने पूर्वांचल के कई बाहुबलियों को थर्रा दिया था. एक विधायक को उसके घर के पास ही सरेआम मार देने का खौफनाक संदेश बहुत दूर तक गया.
धनराज हत्याकांड से फिर सुर्खियों में आया था अखंड
साल 2013 में अखंड प्रताप सिंह ने एक और बड़ा हत्याकांड किया था. बसपा विधायक सीपू सिंह की हत्या से दो महीने पहले यानी मई 2013 का वक्त अखंड प्रताप ने 11 मई 2013 को वाराणसी के मशहूर ट्रांसपोर्टर धनराज की हत्या कर दी. आजमगढ़ के तरवां क्षेत्र यानी अपने ही इलाक़े में धनराज को AK-47 से मौत के घाट उतार दिया. धनराज मूल रूप से वाराणसी का ट्रांसपोर्टर था. इसके अलावा वो कई तरह के सरकारी ठेके भी लिया करता था.
आजमगढ़ में PWD के एक टेंडर को लेकर अखंड प्रताप और धनराज के बीच ठन गई थी. अखंड और उसके शूटर्स ने धनराज को तरवा में मार दिया. इस घटना के बाद अखंड प्रताप सिंह और उसके गैंग के खिलाफ पुलिस ने कई मामले दर्ज किए. आखिररकार योगी सरकार का शिकंजा कसने के बाद तमाम गैंगस्टर की तरह अखंड प्रताप पर भी दबाव बढ़ा. 2019 में उसने सरेंडर कर दिया. तब से वो जेल की सलाखों के पीछे कैद है.
बाहुबली अखंड और पुलिसवालों के सीने पर बुलेटप्रूफ जैकेट
धनराज हत्याकांड में ही मंगलवार को गैंगस्टर अखंड प्रताप की पेशी थी. फिलहाल वो बरेली की सेंट्रल जेल में बंद है. वहीं से आजमगढ़ कोर्ट में पेशी पर आया था. पुलिस की LIU यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को खबर मिली थी कि धनराज के शूटर्स कचहरी में या रास्ते में उसकी हत्या कर सकते हैं. इस आशंका के बाद पुलिस ने एक बड़ा कदम उठाया.
आजमगढ़ कोर्ट में पेशी के दौरान ना केवल गैंगस्टर अखंड प्रताप बल्कि उसकी सुरक्षा घेरे में मौजूद पुलिसवालों को भी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाई गई. उसके अदालत जाने और वापस आने तक पुलिस ने आजमगढ़ कचहरी को छावनी में तब्दील रखा. दरअसल, गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ की 15 अप्रैल 2023 को पुलिस हिरासत में तीन शूटर्स ने सरेआम हत्या कर दी थी. इसके बाद 7 जून 2023 को लखनऊ में कोर्ट रूम के गेट पर गैंगस्टर संजीव जीवा को हमलावरों ने मारा था.
अपराधियों के बीच गैंगवार की आशंका में अखंड प्रताप सिंह को भी बुलेटप्रूफ जैकेट के साथ लाया गया था. क्योंकि, एक तरफ धनराज के लोग उसके दुश्मन बने हुए हैं, दूसरी ओर मुख़्तार गैंग के साथ उसकी पुरानी रंजिश चल रही है. अखंड प्रताप सिंह बरेली सेंट्रल जेल में बंद है. उसका गैंगस्टर गुरु कुंटू सिंह कासगंज जेल में कैद है.