250 वर्ष पुराना वट वृक्ष विलुप्त गरुड़ पक्षियों का बना बसेरा, जानिए ग्रामीण क्यों मान रहे हैं शुभ संकेत

विलुप्त होती जा रही गरुड़ पक्षी एक बार फिर बिहार में दिखने लगा है. इसकी आबादी में भी बढ़ोतरी हो रही है. इन दिनों कटिहार के ग्रामीण इलाकों में गरुड़ ना सिर्फ दिखने लगा है बल्कि अपना बसेरा भी बना लिया है. दरअसल,कटिहार जिला के हसनगंज प्रखंड स्थित जगन्नाथपुर गांव से ऐसी हीं तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर यहां के ग्रामीण गांव के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं. जगन्नाथपुर गांव में कई एकड़ में फैले 200 साल से अधिक पुराने एक वट वृक्ष में कभी गरुड़ पक्षी का बसेरा था, जो पिछले कुछ समय से इस यहां नहीं दिख रहे थे.

लेकिन एक बार फिर इस गांव के वट वृक्ष पर गरुड़ पक्षी लौटने लगे हैं और अब यह गरुड़ पक्षी का बसेरा बन गया है. वही गांव के ग्रामीण भी प्राचीन वट वृक्ष पर गरुड़ पक्षी के बसेरा को लेकर काफी उत्साहित हैं और इसे गांव के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं.

लगातार बढ़ती जा रही गरुड़ पक्षी की संख्याग्रामीणों की माने तो लगभग 40 की संख्या में गरुड़ पक्षी इस वट वृक्ष पर हैं. जिसे देखने के लिए बच्चों से लेकर बड़ों तक की हमेशा भीड़ लगी रहती हैं. स्थानीय निर्मल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पहले गरुड़ पक्षी की संख्या महज 20 से 25 थी और अब बढ़कर 40 हो गई हैं. लगातार गरुड़ पक्षी की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि यह वटवृक्ष 250 साल से भी अधिक वर्ष पुराना हैं. वहीं राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वैसे तो कई वर्षों से यहां गरुड़ पक्षी का बसेरा है. विलुप्त होती जा रही गरुड़ पक्षी की लगातार बढ़ रही संख्या बेहद ख़ुशी की बात है.

गरुड़ पक्षी का वट वृक्ष पर बसेरा बना चर्चा का विषयराजेश कुमार श्रीवास्तव नें बताया कि हर वर्ष यहां गंगा दशहरा के मौके पर पूजा के साथ-साथ मेला का भी आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के मौके पर सभी गरुड़ पक्षी उड़ जाते हैं और पूजा समाप्ति के बाद पुनः सभी पक्षी इसी वट वृक्ष पर आकर अपना बसेरा बनाते हैं.

कुल मिलाकर कटिहार जिला के हसनगंज प्रखंड क्षेत्र के जगन्नाथपुर गांव के प्राचीन वटवृक्ष पर गुरुड़ पक्षी के बसेरा की चर्चा पूरे जिला में जोरों पर है और दूर-दूर से लोग गरुड़ पक्षी के दर्शन करने के लिए वहां पहुंच रहे हैं.

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