रामलला का भव्य स्वरूप देख संत के छलक पड़े आंसू, अयोध्या में संतों का ऐसे हुआ स्वागत, जानें पूरी कहानी

राम जन्मभूमि अयोध्या में प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. इस अलौकिक पल का साक्षी बनने के लिए देशभर से महंत और सन्त गए थे. ऐसे में भीलवाड़ा शहर में स्थित पूरण दास जी की बगीची के महंत आशुतोष दास जी महाराज भी अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लिए यहां से सवा 4 किलों की चांदी की थाल लेकर गए, जिसमें पहली बार प्रभु रामलला ने चलविग्रह किया और इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बन गए. अब महंत आशुतोष दास जी महाराज भीलवाड़ा लौट आए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उस समय भगवान के दर्शन कर उनकी आंखों से आंसू छलक गए.

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा देखने का मिला सौभाग्यभीलवाड़ा शहर के रेलवे फाटक के निकट स्थित पूरण दास जी की बगीची के महंत आशुतोष दास जी महाराज ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि अयोध्या राम जन्म भूमि में एकदम स्वर्ग की तरह माहौल था और पूरा जगत राममय हो गया. जब भगवान श्री राम के दर्शन किए, तब हमारे नेत्र छलक गए. मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि जिस समय प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त समय था और राम जी के नेत्र से पट्टी हटाई गई, तब हमें उनका दर्शन हुआ. भगवान श्री राम की प्रतिमा को देखकर नेत्र छलक गए. उनकी मूर्ति चेहरे पर ऐसा भाव था कि मानों लग रहा था कि राम जी के साक्षात दर्शन हो रहे हो.

जाने टेंट सिटी में क्या थी व्यवस्था

भीलवाड़ा शहर के रेलवे फाटक के निकट स्थित पूरण दास जी की बगीची के महंत आशुतोष दास जी महाराज ने कहा कि राम जन्मभूमि में जो टेंट सिटी बनाई गई थी, वहां साधु संतों के लिए काफी शानदार व्यवस्था की गई थी. इतनी भयंकर सर्दी में भी वहां मौजूद सेवार्थी साधु संतों की सेवा में एक पांव पर खड़े हुए थे और चाहे सर्दी हो या फिर कोहरा, हमें नहाने के लिए गर्म पानी मिल रहा था और अच्छी से अच्छी होटल जैसी व्यवस्था की हुई थी.आशुतोष दास जी ने भगवान श्री राम के लिए भीलवाड़ा से सवा 4 किलो की चांदी की थाल लेकर गए थे, जिसमें भगवान श्री राम ने 22 जनवरी के दिन पहली बार चल विग्रह यानी सबसे पहले स्नान किया था.

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