‘याचिका में न किया जाए जाति-धर्म का जिक्र’ सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि किसी भी पक्षकार या याचिकाकर्ता की ओर से दायर किए जाने वाली अर्जी में उनके धर्म और जाति का उल्लेख नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हीमा कोहली की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में एक आदेश पारित किया है और कहा है कि किसी भी पक्षकार की ओर से दाखिल की जाने वाली अर्जी में पक्षकार के धर्म और जाति का उल्लेख न किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्देश जारी करते हुए कहा है कि यह निर्देश रजिस्ट्रार के सामने भेजा जाए। इसके साथ ही कहा कि इस आदेश की कॉपी देशभर के तमाम हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के सामने भेजा जाए। सर्वोच्च अदालत में पति पत्नी के बीच एक वैवाहिक विवाद का मामला आया था और ट्रांसफर पिटिशन दाखिल की गई थी। इस दौरान जो याचिका थी उसके साथ जो मेमो लगाया गया था उसमें पक्षकारों की जाति का जिक्र था।

‘इस तरह की प्रैक्टिस खत्म की जानी चाहिए’

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि इस तरह के प्रैक्टिस को खत्म किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि धर्म और जाति किसी पक्षकार का मेमो में याचिका के साथ लगाया जाए। इस तरह के प्रैक्टिस को खत्म किया जाए। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि पहले से कोर्ट में दाखिल याचिका में जाति का जिक्र था ऐसे में ट्रांसफर पिटिशन में उसे डालना अनिवार्य हो गया था।

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