Gyanvapi Case: उत्तर-दक्षिण विभाजन की धारणाओं को खारिज करती है ASI की सर्वे रिपोर्ट

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यह उत्तर-दक्षिण विभाजन के बारे में लंबे समय से चली आ रही धारणाओं को खारिज करती है. सर्वे में साइट पर मौजूदा और पहले से मौजूद संरचनाओं की जांच करने पर 12वीं से 17वीं शताब्दी के बीच के संस्कृत और द्रविड़ दोनों भाषाओं में शिलालेख मिले, जो विभाजन के बजाय संस्कृतियों के एकीकरण का संकेत देते हैं.

साइट पर संस्कृत और द्रविड़ दोनों शिलालेखों की मौजूदगी से पता चलता है कि यह आध्यात्मिक संबंध किसी भी राजनीतिक या भौगोलिक विभाजन से पहले का है, जो भारतीय इतिहास को समझने में इसके महत्व और प्रासंगिकता को मजबूत करता है.ज्ञानवापी सर्वेक्षण भारतीय उपमहाद्वीप के भीतर विभिन्न संस्कृतियों के बीच आम अनुमान से कहीं अधिक जटिल ऐतिहासिक इंटरैक्शन का संकेत है. निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके हिस्सों को बाद के निर्माण या मरम्मत कार्यों में फिर से उपयोग किया जा रहा था. यह प्रक्रिया विनाश और उसके बाद आगे पुनः उपयोग की है.

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