इजरायल की मदद को आगे आया भारत, भेज रहा 10000 लोगों की ‘फौज’, नेतन्याहू को कब मिलेगी राहत?
भारत से युद्ध से जूझ रहे इजरायल की मदद के लिए 10000 श्रमिकों की पहली बैच जल्द रवाना होने वाली है। ये लोग अगले हफ्ते से इजरायल पहुंचना शुरू हो जाएंगे। इनका काम श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे इजरायल के निर्माण उद्योग की मदद करना है। 7 अक्टूबर को हमास के साथ लड़ाई के बाद इजरायल का निर्माण उद्योग श्रमिकों की गंभीर कमी का सामना कर रहा है। इजरायल बिल्डर्स एसोसिएशन (आईबीए) के एक सूत्र के अनुसार, ये 10,000 कर्मचारी हर हफ्ते 700-1,000 के ग्रुप में पहुंचेंगे।
इजरायल में श्रमिकों की कमी क्यों है
गाजा में हमास के साथ इजरायल के सबसे हालिया संघर्ष के कारण इजरायली निर्माण उद्योग गंभीर संकट में है। पिछले चार महीने में इजरायल में निर्माण उद्योग का काम बिलकुल ठप पड़ा हुआ है। इजरायल ने सुरक्षा कारणों से फिलिस्तीनी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है और कई हजार अन्य विदेशी श्रमिकों ने इजरायल को छोड़ दिया है। इस कारण चल रही कई परियोजनाएं या तो रुकी हुई हैं या लेटलतीफी का शिकार हैं। कई प्रस्तावित परियोजनाएं तो शुरू भी नहीं हो सकी हैं।
इजरायल ने कितने श्रमिको के आगमन की मंजूरी दी
इजरायली बिजनेस दैनिक द कैलकलिस्ट ने पिछले हफ्ते हिब्रू में एक रिपोर्ट में कहा कि निर्माण उद्योग के लिए विदेशी श्रमिकों का कोटा 30,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दिया गया है और इजरायली सरकार ने पिछले महीने 10,000 श्रमिकों के आगमन को मंजूरी दे दी है। एसोसिएशन के श्रमिक मुद्दे प्रभाग के प्रमुख इज़्चैक गुरविट्ज़ और आईबीए के सीईओ इगल स्लोविक चयन प्रक्रिया की देखरेख कर रहे हैं।
नेतन्याहू ने पीएम मोदी से मांगी थी मदद
वर्तमान में चर्चा हैं कि इजरायल का आवास और निर्माण मंत्रालय निजी ट्रैक के माध्यम से 10,000 और नौकरियां जोड़ने की योजना विकसित कर रहा है। इस कारण यह उद्योग कुल मिलाकर 60,000 विदेशी कर्मचारियों को रोजगार देगा, जो मौजूदा कोटा 50,000 से अधिक है। दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल में, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने “भारत से इजरायल में विदेशी श्रमिकों के आगमन को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।”
इजरायली मंत्री ने दिल्ली का दौरा कर चर्चा की थी
पिछले साल अप्रैल मे भारत यात्रा के दौरान, इजरायल के अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत ने नई दिल्ली में प्रतिनिधियों और अपने समकक्ष के साथ निर्माण सहित कई क्षेत्रों में भारतीयों को रोजगार देने पर चर्चा की थी। इस दौरान अलग-अलग उद्योगों में काम करने के लिए लगभग 160,000 लोगों को इजरायल भेजने पर सहमति बनी। भारतीय श्रमिकों का कहना है कि वे इजरायल में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। वहां उन्हें काफी आकर्षक वेतन भी मिलता है। इस कारण अधिकांश भारतीय श्रमिक आज भी इजरायल में मौजूद हैं और दूसरे देशों के श्रमिकों की तरह देश छोड़कर नहीं भागे।