भारत और यूएई की दोस्‍ती की मिसाल बनेगा यह भव्‍य हिंदू मंदिर, पीएम मोदी करेंगे मुस्लिम देश में उद्घाटन

यूएई की राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन फरवरी में होगा। इसके उद्घाटन से पहले अधिकारियों ने कहा कि मंदिर का आधार सहिष्णुता और सद्भाव है। यह गुलाबी बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बना है, जिसे बनाने में 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आया है। 14 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से एक समारोह में इसका उद्घाटन किया जाएगा। मंदिर का निर्माण BAPS स्वामीनारायण संस्था ने किया है। संस्था ने इसे यूएई और उसके नेताओं और लोगों के खुलेपन और समावेश का संकेत बताया।

BAPS के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मबिहारीदास ने बुधवार को मंदिर स्थल पर कहा कि सद्भाव और सहिष्णुता राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने मंदिर निर्माण की इजाजत के लिए यूएई के नेताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, ‘यह हिंदुओं के लिए पूजा स्थल है। लेकिन BAPS हिंदू मंदिर का मूल विचार इस धरती पर सद्भाव को बढ़ाना है।’ उन्होंने आगे कहा कि मंदिर शांति को बढ़ावा देगा और यह यूएई और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों का भी प्रतीक होगा।

राष्ट्रपति की उदारता को किया याद

उन्होंने यूएई के संस्थापक दिवंगत शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान से लेकर राष्ट्रपति शेख मोहम्मद की ओर से स्थापित की गई स्वीकृति की भावना का उदाहरण देते हुए, इसकी सराहना की। राष्ट्रपति ने क्राउन प्रिंस रहते हुए मंदिर के लिए जमीन दी थी। स्वामी ने यूएई के राष्ट्रति को बड़े दिल वाला एक सौम्य नेता बताया। उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी की मौजूदगी में हमने 2018 में उन्हें दो योजनाएं दिखाईं। एक पारंपरिक सामान्य इमारत जैसा था। वहीं दूसरा पत्थर का बना था। हमने उनसे पूछा कि आखिर कौन सा बनना चाहिए। इस पर वह मुस्कुरा कर बोले कि यदि आप एक मंदिर बना रहे हैं तो वह मंदिर की तरह दिखना चाहिए।’

कितना विशाल है मंदिर

मंदिर को यूएई में 5.4 हेक्टेयर भूमि पर बनाया गया है। बाद में इसमें सामुदायिक हॉल और पार्किंग क्षेत्रों को शामिल करने के लिए 11 हेक्टेयर तक बढ़ाया गया। भारत के कारीगरों ने बलुआ पत्थर और संगमरमर पर नक्काशी की, जिन्हें बाद में यूएई भेजा गया और फिर आपस में जोड़ा गया। प्राचीन मंदिरों के निर्माण को ध्यान में रखते हुए इसमें लोहे और स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर के उद्घाटन में अब सिर्फ दो सप्ताह बचे हैं। मुख्य मंदिर स्थल से क्रेन और विशाल मशीनरी को हटा दी गई है।

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