रिकॉर्ड टाइम में बनी प्रगति मैदान की सुरंग की हालत खराब, कंपनी पर 500 करोड़ का जुर्माना

दिल्ली में प्रगति मैदान इलाके में एक 1.3 किलोमीटर लंबा अंडरपास बना है. G20 सम्मेलन से पहले इसे तैयार किया गया था. प्रोजेक्ट की लागत 777 करोड़ रुपये थी. आप सेंट्रल दिल्ली घूमें, तो गाहे-बगाहे इस अंडरपास से गुज़रते ही हैं.

कहा जा रहा है कि ये टनल यात्रियों के जीवन के लिए ‘ख़तरा’ बन चुकी है. वजह: रिसाव, सीमेंट/कंक्रीट में दरारें और जल निकासी की ख़राब व्यवस्था. PWD को जानकारी मिली है कि डिज़ाइन में भी गड़बड़ है. ऑडिट किया, तो पता चला कि टनल को रिपेयर ही नहीं किया जा सकता. माने पिछला पूरा निवेश बर्बाद.

अब क्या होगा?

19 जून, 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह लेन के इस अंडरपास का उद्घाटन किया था. मक़सद ये कि सेंट्रल, साउथ-ईस्ट और नई दिल्ली के बीच निर्बाध कनेक्टिविटी हो जाए. शहर के व्यस्त रास्तों – भैरों मार्ग, रिंग रोड और मथुरा रोड – को सिग्नल-फ़्री बनाया जाए. मगर अब टनल ऐसी स्थिति में है कि कभी भी बैठ सकती है, और वहां अभी भी अबाध यातायात जारी है.

सुरंग का निर्माण और गुणवत्ता लोक निर्माण विभाग की जांच के दायरे में है. उन्होंने टनल बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को कई नोटिस जारी किए हैं. गंभीर तकनीकी और डिज़ाइन संबंधी कमियों के लिए उनसे 500 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया है. मतलब एक ही तरीक़े से ये टनल ठीक नहीं हो सकती, उसे फिर से ही बनाना पड़ेगा.

नोटिस में इस तथ्य को भी रेखांकित किया गया है कि प्रोजेक्ट का पूरा डिज़ाइन और कार्यान्वयन L&T के नियंत्रण में था और इसमें किसी सरकारी एजेंसी की कोई भूमिका नहीं थी.

-G20 में लगाए थे बढ़िया फव्वारे, लाखों के नोजल चोरी, पुलिस को क्या पता चला?

जवाब में L&T के प्रवक्ता ने कहा:

“PWD, दिल्ली हमारे एक सम्मानित ग्राहक है और हम उनके साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं. हालांकि, L&T ने PWD, दिल्ली के ख़िलाफ़ 500 करोड़ रुपये का जवाबी दावा (Counter claim) किया गया है.”

क्यों जर्जर हुई टनल?

L&T वही कंपनी है, जिसने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास प्रोजेक्ट का काम किया था. जब ये टनल बनी थी, तब ख़ूब हेडलाइन्स चली थीं – ‘रिकॉर्ड टाइम में बन कर तैयार हुई टनल’.

ख़बरें ये भी चली थीं कि पिछले साल टनल में जलभराव हुआ, और इसके चलते सुरंग एक महीने से अधिक समय तक बंद रही थी.

अर्बन प्लैनिंग एक्सपर्ट अर्चित प्रताप सिंह बताते हैं कि एक भूमिगत सुरंग बनाने के लिए मिट्टी और चट्टान की स्थिति को क़ायदे से समझना पड़ता है. इसके लिए गहन भू-तकनीकी परीक्षण की ज़रूरत होती है. वो कहते हैं,

“प्रगति मैदान सुरंग में जो रिसाव हो रहा है, वो निर्माण के दौरान उचित वॉटरप्रूफिंग न होने की वजह से है. सुरंग में पानी जमा होना और जल निकासी के लिए पर्याप्त नालियों का न होना ही समस्याओं की जड़ है.”

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